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६ काहं ॥ ९१ ॥ भणियं देवीइ अवित्वमेव संपज्जए तओ धाई । अट्ठमिपये सुन्ने गिहम्मि पडिमाठियं संतं ॥ ९२ ॥ दहा निगुरहियया तस्मुप्पाडणमहायरइ ताहे । उप्पाडित्ता चेडीहिं अप्पिओ अभयदेवीए ॥ ९३॥ तो कामसत्थावित्थारिएहि । नाणाविहोवयारेहिं । तं सोभि पयट्टा विमुक्कनीसेसनियलजा ॥ ९४ ॥ सो सविसेसं पञ्चक्खाणट्ठाणे मणं निलंभित्ता। सिद्धिसिलोवरिसरइंदुकुंदसंखुजलच्छाए ॥९५ ॥ अप्पाणं ठावित्ता तद्देससमीववत्तिणो सिद्धे। धुणियासेसकिलेसे निउणं परिचिंति लग्गो ॥९६॥ तो कदानिषिसिद्रं तणचेद्दद्धरं धरंतस्स । रयणी अइच्छिया स
वियारो से ॥ ९७ ॥ जाया पभायसमए वहुं विलक्खत्तणं परिवहंती। तिक्खेहिं निययनक्खेहिं दारिउ देहमह लग्गा| 181॥९८ ॥ उइयं इमो जं नो पडिवन्नो पइययाइ भए । सो जायपओसो मज्झ निग्गहं एवमायरइ ॥ ९९ ॥ अमयस्स र विमरसवि णूणमेत्य ठाणं इमाओ रामाओ। रत्ताउ होति अमयं विसं पओसं पवनाओ ॥ १०० ॥ उच्छलिए तुमुलरवे |
रायायि समागओ पलोएइ । देवि जा तदवत्थं विहिओ सो दुद्धरो रोसो ॥१०१॥ माणुनयाण जम्हा इत्थीण | पराभवो सुदुविसहो । नो अन्नो कत्तोवि य निमित्तओ जं सहिति ॥ १०२॥ तो वज्झो आणत्तो सबथवि भासिओ नयरमज्झे । रत्तंदणाणुलित्तो सीसोवरिधरियछित्तरओ ॥ १०३ ॥ खरमारूढो पुरओ ताडियउइंडविरसर्डिडिमओ।
कजलकयमुहपिंडो गललंबिसरावमालो य ॥ १०४ ॥ उग्घोसियं न रायावि अन्नो वा कोववरज्झइ इमस्स । नियदुच्च६रियं केवलमेयफलं ज्झत्ति संजायं ॥ १०५॥ निसुओ मणोरमाए वुत्तंतो एस कन्नदुहदाई । परिभावियं महप्पा सुविणेवि र
न एरिसं कुणइ ॥ १०६ ॥ जइ मज्झ अस्थि तस्स य सीलस्स निसेवियस्स फलमत्थ । ता अक्खओ इमाओ वसणाओ
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