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गेहं समागओ तदुचिएसु कज्जेसु । लग्गो बीओ पुण जलहिपारगमणेण लद्धधणो ॥१०॥ केत्तियकालाओ तुलाए जीवमारोविऊण नियगेहं । पत्तो सोवि य सधणोचियासु किरियासु परिलग्गो॥ ११॥ जाओ पुरे पवाओ जह एगो पोढपुनपन्भारो। संपत्तसयलवंछियलच्छीविच्छडुओ सुहिओ॥ १२॥ वीओ पुण दारुणजलहितरणसंजायगरुयधणरिद्धी। अइनिबंधुसंबंधबंधुरो भुंजइ भोगे ॥ १३ ॥ ता एएसिं मज्झा पढमो देवेण संजुओ वाढं । अखलियपसरो बीओ वि संजुओ पुरिसगारेण ॥ १४ ॥ निसुओ रन्ना अइकोउगाओ सदाविया सहाए ते । पुट्ठा एस पवाओ किमन्नहा वा तहा-12 वत्ति ॥ १५ ॥ भणियं देव! न वितहो जणप्पवाओ जओ पायं। अइपच्छन्नं पि कयं कजं सज्जो वियाणाइ ॥ १६॥ सयमेव तओ तेसि रन्नाविन्नासणा समारद्धा । पढमो एगागि च्चिय निमंतिओ भोयणस्स कए ॥ १७॥ भणिया महाणसणरा जह अज्ज उ वक्खडो न काययो । एयस्स पुन्नवसजायपत्तमम्हेहिं भोत्तवं ॥ १८ ॥ पत्ते भोयणसमए देवीसंपे-2 सिओ अह महल्लो । विन्नवइ जहा देवीगिहम्मि तुम्हेहिं भोत्तवं ॥ १९ ॥ किं पुण निमित्तमिहि पत्तो जामाउओ निय-9 पुराओ। सुओयणाइभेयं पसाहियं भोयणं तस्स ॥ २०॥ ता देव ! तए सद्धिं सो सोहग्गं लहेइ भुंजंतो । तो भुत्ता वीसस्था संता तं भोयणं सबे ॥ २१॥ वीओ य अन्नदियहे निमंतिओ भोयणत्थमह भणिया। सवेवि रसवईए पसाहगा जह लहुं चेव ॥ २२ ॥ सद्यायरेण भोयणमुवट्ठियं कुणह भोयणावसरे । पत्तम्मि आसणेसु दिन्नेसु उवट्ठिए भत्ते ॥ २३ ॥ तुट्ठो रायसुयाए अट्ठारससरसमन्निओ हारो। आमलगथूलमुत्ताहलुब्भडो निन्निमित्तंपि ॥ २४ ॥ सा रुयमाणा दीणाणणा य पत्ता पिउस्स पासम्मि । भासइ जहा इमो मे हारो पोइज्जउ इण्हिं॥ २५ ॥ नाहं काहं भोयणमहमन्नह इय पयंपिए
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