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श्रीउपदे- उबिग्गो सो नियजीवियाओ अग्गीपवेसमभिलसइ । जा ताव सवररूवो होउं स सुरो समणुपत्तो ॥ ११५॥ उग्घोसण- श्रीअहहशपदे
मारद्धं जह विज्जो हं समत्थवाहीण । दिट्ठो स तेण जंपियमेसो वाही बहुं रुद्दो ॥ ११६ ॥ किच्छेण चिगिच्छिज्जइत्तोदाहर
8 ममावि एसो जओ पुरा आसि । परिचत्तसवसंगो तेणेवमडामि पइनगरं ॥ ११७ ॥ एयस्स जावणकए एसो चिय इया णम् ॥१९६॥
अडेइ जइ ता है। फेडेमि तेण दुक्खहुएण अंगीकयं सवं ॥११८ ॥ नीओ चच्चरदेसे माइट्ठाणेण ठाविओ तत्थ ।
विहिया चच्चरपूया पदंसिओ वाहिनिस्सारो ॥११९॥अवणीया वियणा पाविओ य पउणत्तणं खणा चेव । पबज्जादाणकए दस तस्स सयमवि य मणिरूवो ॥ १२० ॥ संजाओ दिन्ना दिवरूवदिक्खा मुणीणमायारो। कहिओ सट्ठाणगओ स सुरो
तो सो वि पवजं ॥१२१॥ उज्झित्तु गओ गेहं तहेव भज्जाइयाण पडिवत्ती । जा विहिया ता वाही तहेव देवेण से विहिओ ॥ १२२ ॥ विदाणो सयणजणो तं तहमइदूरमाउरं दर्छ। पेच्छेइ य तं वेज्जं सवरागारं भणेई य॥ १२३ ॥ 8 सो वि तह च्चिय तं पन्नवेइ पडिवजई अह इमोवि । णवरिमिमोवि मए सममडउ महिं तेण पडिवन्नं ॥ १२४ ॥ तो
गोणगाभिहाणो समप्पिओ सत्थकोसओ तरस । विहियायरेण तेणवि गहिओ सुपसन्नवयणेण ॥ १२५ ॥ तत्तो कयनिग्गमणेण भासिओ सो सुरेण जह निच्चं । मम तुल्ला कायवा किरिया अह अन्नया गामे ॥ १२६ ॥ जालामालकरालो विउधिओ संपयट्टअट्टरवो । तत्तोहुत्तं विज्झावणहे जाव सो विज्जो ॥ १२७॥ थूलतणपूलहत्थो गच्छइ ता तेण एस पन्न विओ। जलसंजोगसमुचिए इमम्मि कह पूलगकरोसि? ॥१२८ ॥ (वैद्य:-) तंपि कहं जम्मजराजलणे एयम्मि ॥१९६॥ भीमभवरन्ने । उम्मुक्कवओ वचसि ण सच्चचरिओ धुवं होसि ॥ १२९॥ तो तुहिको थक्को सम्मं मग्गं चइत्तु उम्मग्गे ।
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