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________________ प *CRACKER ॥३७॥ तो ते भणंति अम्हे गीयाइ कुणेसु तं तह कुणंति । उत्तालविसमतालं अकोवकोवो मुणी भणइ ॥ ३८॥ एयारिमम्मि गीए पवाइए मुक्खलोगजोगम्मि । णो णच्चामि सरोसा तं कड्डे समाढत्ता ॥ ३९॥ जयणाए वाहुजुद्धम्मि कुमलभावाओ चित्तलिहियय । वियलंगसंधिबंधे तत्तो काउं गओ सोवि ॥ ४०॥ तेसिं पीडं अह भोयणाइपचूहमणुसरंतस्म । णो भिक्खायरियाए अडणं जायं नगरवाहिं ॥४१ ॥ पइरिके ठाणे संठियरस चिंताउरस्स तकालं। सोहणनिमिनलाभे होही चरणं धुवं तेसिं ॥ ४२ ॥ जाया धिई विसुज्झंतमाणसो कुणइ ताव सज्झायं । ताहे कुमारपरियण जणेण कहियं नरवइस्स ॥ ४३ ॥ सब कुमारचरियं तो गुरुमूलं निवो गओ भणइ । मुणिणो खमापहाणा जं होंति कया-1 वराहे वि ॥ ४४ ॥ एस कुमरावराहो खमिजऊ संपयं तओ मज्झ । भणइ गुरू नवि जाणे साहूणं केणई कुमरा ॥४५॥ E/भिया मुणी तो पुच्छइ तेवि य भणंति केणावि । णम्हाण विहियमेयं निवो भणइ नन्नह इमंति ॥ ४६ ॥ णूणं तेणं आगंतुएण मुणिणा कयंति भणिऊण । जाओ तस्सन्नेसणपरायणो अहिगए तम्मि ॥ ४७ ॥ तस्स समीवमुवगओ जा| पामइ ताव परिगयमिमरस । एसो पराजिओ नाम जेट्ठभाया ममं, दुहु ॥४८॥ अबो! विचिट्ठियं जं न मए साहू ६ परामविजंता। कुमरेहिं रक्खिया इय लज्जामलिणाणणो राया ॥४९॥ पडइ चलणेसु दोसुं स तस्स भूमीनिहित्तनय जुभो । मुणिणोवालंभपरेण भणियमह निप्पिहमणेण ॥ ५० ॥ सारयतारापहुमंडलुज्जले तह कुलम्मि जाएण । एयारिमो पमाओ उवेहिओ अहमजणजोग्गो ॥५१॥ जलणो अलिंजराओ जइ जलइ करालजालसंवलिओ। ता किं तमत्थि मलिलं सो जेण जए नियत्तेज्जा ? ॥५२॥ ता एयाओ कुलाओ साहूण पराभवो समुप्पन्नो । न य सो समस्थि थेवंपि ।
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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