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.प.म.२५
अमया । भुंजावियमि तम्मी कओवयारे सुहासीणे ॥ ११ ॥ तो कलमसालिकणे पुढो पुढो ताण पंच बहुयाण । नियहत्येण समप्पड़ भणाइ तह जम्मि समयम्मि ॥ १२ ॥ मग्गामि तम्मि खिष्पं समप्पणिजा ममं इमे ताहिं । अंजलिपसारपुयं पडिवना णमिरसीसाहिं ॥ १३ ॥ सट्ठाणगए बंधवणाइजणे तम्मि आइमा बहुया । ते उज्झेइ किमेए मम गेहे दुल्हा हुंति ? ॥ १४ ॥ जइया मग्गणमेयाण होज तइया जओ कुओ ठाणा । गेहेतुमहं तायस्स अप्पइस्सामि अचिरेण ॥ १५ ॥ बीयाए पुण नित्तसभावं आणेत्तु भक्खिया विहिया । तइयाए तायसमप्पियत्ति गउरवपरमणाए ॥ १६ ॥ उज्जलवणं गोविऊण णिययम्मि भूसणकरण्डे । बूढा तिकालमणुदिवसमेव पडिजग्गए सम्मं ॥ १७ ॥ चरमाए पुण नियजणगगेहओ सदिऊण बंधुजणो । भणिओ पइवरिसमिमे जह वुद्धिं जंति तह कज्जं ॥ १८ ॥ पत्ते वासारत्ते वाविया | तेण बंधवजणेण । मुइसलिलपूरियम्मी वप्पम्मि परोहमणुपत्ता ॥ १९ ॥ सधेवि उक्खणित्ता पुणरवि आरोविया तओ जाओ। सरयसमयम्मि एगो पसत्थओ पत्थओ तेहिं ॥ २० ॥ वीयम्मि आढगा वच्छरम्मि खारी तइज्जगे जाया । कुंभा चडत्थे पंचमम्मि कुंभसहसाणि ॥ २१ ॥ पत्ते पंचमवरिसे तहेव भोयणपुरस्सरं तेण । मिलियाण ताण बंधवजगाण सद्दाविया बहुया ॥ २२ ॥ भणियाओ मम समप्पह सालिकणे पंच जे पुरा तुम्ह । नियहत्थेण समप्पियपुवा वरि सम्मि पंचम ॥ २३ ॥ पढमा सरणविलक्खा जाया कुद्वारओ गहेऊण । जा ते तस्स समप्पइ नियसावपुरस्सरं भणिया ॥ २४ ॥ किं ते च्चिय उय अन्ने इमे कणा ताय ! णेव ते भणइ । पुट्ठा ते कत्थ गया तइय च्चिय उज्झिया वाहिं ॥२५॥ बीयावि मग्गिया पुण भणेइ ते भक्खिया इमे अन्ने । तइया रयणकरंडगमज्झाओ कहिउं देइ ॥ २६ ॥ जा पुण ताण |