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| लाभनवकप्पसालसमो ॥ ७ ॥ पद्याविया य तक्खणमुवाणियाणि य सुराए लिंगाणि । उत्तरिया पवयमेहलाहिं लग्गा |पहे गंतुं ॥ ८ ॥ पत्ता भिक्खावेला आणेज्जउ पारणेऽज्जमज्ज ! मए । किं तुम्हमुचियमेवं वुत्ता ते पायसं विंति ॥ ९॥ भयवं च सवलद्धी भिक्खायरियाए महुघयसणाहं । पत्तमणायासेणं पायसभरियं करित्ताण ॥ १० ॥ ताण समीवमुवगओ अक्खीणमहाणसो जओ सामी । तो एक्केणवि पत्तेण पढममुवट्ठिया विहिया ॥ ११ ॥ ते सधे पच्छा अप्पणाओ जिम ददं ससंतोसा । संजाया सधेसिं तेसिं सेवालभक्खीण ॥ १२ ॥ खीणावरणाणमपत्त पुत्रमुग्धडियमह महाणाणं । दिन्नस्स दिन्नजयजीवियस्स दट्ठूण छत्ताई ॥ १३ ॥ जयपहुणो णाणमणंतमुग्गयं निययपरियणजयस्स । कोडिन्नस्स य भयवं तमुग्गिरंतं परं धम्मं ॥ १४ ॥ अह गोयमो पयाहिणमाणंदियमाणसो जिनिंदस्स । तेवि अणुपट्ठिलग्गा कुति तो केवलिसभाए ॥ १५ ॥ गंतूण समासीणा तित्थस्स नमोत्ति विहियवंदणया । पच्छावलोयणपरो सो भणइ इमं पहुं नमह ॥ १६ ॥ तो जिणसामी पभणेइ गोयमा केवलीण मा हीलं । कुण पच्छायावजुओ मिच्छाउक्कडपरो स तओ ॥ १७ ॥ उद्धरमधि परिगओ नाहं जम्मे इमम्मि सिज्झिस्सं । जं एए पद्मइया सज्जो श्चिय केवलं पत्ता ॥ १८ ॥ भणइ | भयवं सुराणं किं सच्चं वयणमह जिणाणंति । भणइ स जिणाण तो किं अधिई काउं समारद्धो ? ॥ १९ ॥ पच्छावसरम्मि जिणो चत्तारि कडे परूवई एवं । सुंवकडे विदलकडे चम्मकडे कंवलकडे य ॥ २० ॥ एवं सिस्सस्स गुरुम्मि पेमबंधी चउविहो होइ । तुह पुण गोयम ! कंबलकडयसमाणो मई मोहो ॥ २१ ॥ अवि य ॥ चिरसंसको चिरसंधुओ य चिरपरिचिओ य चिरझुसिओ । चिरमणुगओ सि गोयम । चिराणुवत्ती य मे होसि ॥ २२ ॥ ता देहस्स इमस्स भेए