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श्रीउपदे- शपदे
॥१२३॥
णाणि ॥२१२॥ तत्थेव गुरू चिट्ठति ता लहं एस अम्ह सुयखंधो । पाविज समत्तिं जं चिरेण लब्भइ गुरुसयासे॥२१३॥ श्रीवज्र६ एकाए पोरिसीए एसो विअरेइ तं तओ तेसिं । सो अच्चंतबहुमओ चिंतारयणाहिओ जाओ ॥ २१४ ॥ वइरगुणे जाणा-2 स्वामिच
विय समागया सूरिणा वरं सेसं । अज्झाविजउ एसो त्ति ठवियनियमाणसविगप्पा ॥२१५॥ पुच्छंति पायवडिया साहू रितम्
सरिओ सुहेण सज्झाओ। तुम्हाणमाममेवं भणंति सुपसंतमुहनयणा ॥ २१६ ॥ एसो च्चिय ता कीरउ वाणायरिओ 8 तओ गुरू भणइ । एसो होही नियमा मणोरहापूरगो तुम्हें ॥२१७॥ तुन्भेहिं तो मा लहउ परिभवं छन्नगुणगणो एसो। द इय जाणावणहे एयरस वयं गया गामं ॥ २१८ ॥ संपइ न एस जोग्गो वट्टइ सुयवायणापयाणस्स । जम्हा कन्नाहेडग दू र वसेण गहियं सुयमणेण ॥२१९॥ उस्सारकप्पजोगो एसो ता तं करेमि सो य इमो। पढमाए पोरिसीए जावइयमहिजिउं तरइ
॥ २२० ॥ अच्चंत मेहावी तावइयं दिजई न दिणमाणं । एत्थ विहिज्जइ तह चेव सूरिणा काउमारद्धं ॥ २२१॥ बीयाए पोरिसीए कहेइ अत्थं स जेण दोण्हपि । कप्पाण समुचिओ काउमेवमसिं दिणा जंति ॥ २२२॥ चत्तारि होति सीसा | अइजाय-सुजाय-हीणजायत्ति । सबाहमचरियपरो तह य चउत्थो कुलिंगालो ॥ २२३॥ गुरुगुणगणाउ अहिओ पढमो वीओ समाणओ तस्स । ऊणो किंची तइओ सनामसरिसो चउत्थो उ ॥ २२४ ॥ एवं कुटुंबियाणं पुत्तावि भवंति तत्थ सो जाओ। अइजाओ सीहगिरिं पडुच्च तेणं तओ अत्था ॥ २२५ ॥ जे आसि संकिया तस्स तेवि दूरं पयासिया विहिया । गहिओ य दिद्विवाओ जावइओ आसि किल गुरुणो ॥ २२६ ॥ दुरियाई हरंता भूमिमंडले नगरगाममाईणं । ॥१२३॥ ६ विहरंता संपत्ता नयर सिरिदसउरं नाम ॥ २२७ ॥ तइया उज्जेणीए आयरिया भद्दगुत्तनामाणो । बुढा वासेण ठिया
GHISLARARASI SOHASI SAISHA