________________
भणइ कुमर! को मुणाइ एयवुत्तंतपरमत्यं ॥ २५१॥ जं तुम्हसरिसनामा संति अणेगे नरा महीवलए । एवं पडिहयवयणो कुमरो तो मोणमठीणो॥२५२ ॥ वरधणुणावि स लेहो विहाडिओ पेहिया तहिं गाहा । अइतिषवम्मम्माहकारिया एयरूवत्ति ॥ २५३ ॥ जहा:-पत्थिजइ जइ हियए जणेण संजोयजणियजत्तेण। तहवि तुम चिय धणियं रयणवई महा माणे ॥२५४॥ वरधणुणो चिंतासंगयस्स कहमेयलेहभावत्थो। णाययो, वीयदिणे पपइगा आगया एगा॥२५५ ॥ कुमरस्स सिरे कुसुमे तहक्खए निक्खिवेइ भणई य । पुत्तय! वाससहस्सं जीवसु तो वरध[ नेइ ॥ २५६॥ एगंते तेण समं किंचिवि सा मंतिउं झडित्ति गया। तो पुच्छई कुमारो वरधणुमेयाइ किं कहियं ? ॥२५७ ॥ ईसीसिहसिरवयणो तो साहुइ वरधणू जहा एसा । पवइया पडिलेहं मं मग्गइ तस्स लेहस्स ॥ २५८॥ भणियं मए जहेसो लेहो निववंभ-॥४ दत्तनामंको। दीसइ ता कहसु तुमं को एसो वंभदत्तो ति? ॥ २५९ ॥ भणियं तीए सुण सोम! किंतु न तए पयासियवमिमं । अत्थि इहेब पुरवरे रयणवई सेट्टिणो धूया ॥ २६० ॥ सा वालकालो चिय मइ निद्धा जोवणं समणुपत्ता। तिजगजउज्जयवम्महभिल्लस्स महल्लभल्लिसमं ॥ २६१॥ दिट्टा दिणम्मि अन्नम्मि सा मए किंचि किंचि झायंती। पल्हथियगंडयला वामे करपल्लवे विमणा ॥ २६२ ॥ तीइ समीवं गंतुं पण्णत्ता सा मए जहा पुत्ति! | चिंतासायरलहरीहिं हीरमाणय तं भासि ॥ २६३ ॥ तो परियणेण भणियं वहूणि दिवसाणि एवमेईए । विमणुम्मणा य पुट्ठा पुणो पुणो 5 जाव न कहेइ॥२६४ ॥ भणियं तस्स सहीए पियंगुलइयाइ भगवइ! जहेसा । लज्जती तुज्झ न किंपि अक्खि स
१क 'जइविजए।
KOCHASIASSASTOSHISHIGASISI