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श्रीउपदे
शपदे
॥ ९९॥
SISESEORASHESSAGES
चंकमंती घरंगणे सा य । दिवा पुंडरीएणं अज्झुववण्णण अह तेण ॥२॥ दुई विसज्जिया लजिरीए तीए य सा पडि- कुमारवा. निसिद्धा। अच्चंतं निबंधे य राइणो तीए पडिभणियं ॥ ३॥ किं न लहुभाइणो वि हुतं लजसि जेण उल्लवसि एवं । पच्छन्नो कंडरिओ तयणु विणासाविओ रण्णा ॥४॥ अब्भत्थिया पुणोवि हु ताहे सा सीलखण्डण भएण। नियगाभरणाणि लहुं गहाय गेहाउ नीहरिया ॥५॥ सत्थेण समं एगागिणी वि पडिवन्नजणगभावस्स । थेरवणियनिस्साए नयरिं सावत्थिमणुपत्ता ॥६॥ जियसेणसूरिसिस्सिणिकित्तिमयीमयहरीसमीवे य । वंदणवडियाए गया कहिओ सबो य वुत्तंतो ॥७॥ संवुद्धा पवइया विजंतोवि हुन साहिओ गम्भो । मयहरियाए, मज्झं मा पवजं न दाहित्ति ॥८॥ कालक्कमेण वुद्धिं गयम्मि गन्भम्मि मयहरीए । सा पुट्ठा एगंतम्मि कारणमवि तीए परिकहियं ॥९॥ पच्छा पच्छन्नच्चिय है ता धरिआ जा सुयं पसूया सा । सडकुलम्मि संवडिओ य सो जाव पवइओ ॥१०॥ सूरिस्स समीवम्मि कयं च से नाम खुडुगकुमारो। सिक्खविओ य समग्गं जइजणजोग्गं समायारं ॥११॥ अह जोवणमणुपत्तो संजममणुपालिङ से अचायतो। पडिभग्गो जणणिं सो पुच्छइ उन्निक्खमणहेउं ॥ १२॥ पडिसिद्धो जणणीए बहुप्पयारेहिं तहवि नो ठाइ । 18/ पच्छा तीए भणिओ पुत्तय ! मज्झोवरोहेण ॥ १३ ॥ पडिपालसु बारसवच्छराई एवंति तेण पडिवणं । तेसुं च अइक
तेसु पट्ठिओ तीए पुण भणिओ ॥१४॥ मह गुरुणिं आपुच्छसु आपुट्ठाए य तीएवि य धरिओ । तेत्तियमेत्तं कालं 8 आयरिएणावि एमेव ॥ १५॥ एवं उज्झाएण वि अडयालीसं गयाणि वरिसाणि । तहवि हु अठायमाणो उवेहिओ नवरि । जणणीए ॥१६॥ पिउनामंका मुद्दा कंबलरयणं च पुवसंठवियं । तस्सप्पिऊण सिटु मा पुत्तय ! जत्थ तत्थेव ॥१७॥
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