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श्रेष्ठिता
श्रीउपदे- 19 मण
भणइ वजा ॥ १५॥ दिन्नं चेडस्स सरोसमागओ भणइ एयकजेण । सो कुकुडो वराओ विणासिओ जइ परमिमस्स
या शपदे
है॥१६॥ पुत्तस्स सिरं खाएमि संपयं होज तो कयत्थो हं। एयं पि ववसिया सा कए निबंधे सुयं चेयं । दासीए
लेहसालाओ चेव सा तं पलाइया घेत्तुं ॥१७॥ पत्ता नियनयरंतरमेत्थ अपुत्तो मओ राया। अहिवासिय-अस्सेणं ॥९८॥
परिक्खिओ नरवई य सो जाओ ॥१८॥ अइतिवपयावो ठाविया य जणणीपए सावि । कालंतरेण सेट्ठी समागओ जा गिह पलोएइ ॥ १९ ॥ सडियं पडियं कुकुडमयणासुयविरहियं चेव । पुट्ठा बज्जा कंठग्गहेण गहियव जा न भासेइ5 ॥२०॥ ता पंजरमुकेणं कीरेण निवेइओ सबो । गिहवुत्तंतो वेरग्गमुग्गओ गम्म चिंतई ताहे ॥ २१॥ एईए कए एरि
सकिलेससयसंपओगो मे । एयाए विलसियमिमं अलाहि विसएहिं विससरिच्छेहिं ॥२२॥ सावज्जकजवजणसज्जा है गहिया य पवजा । पजायवसेण पुरं तं चेव गया समाहणा वजा ॥ २३ ॥ साहू वि य विहरंतो जत्थ सुओ सो निवो
जाओ।नाओ य तीए भिक्खामज्झे छुहियं सुवन्नयं दिन्नं ॥२४॥ विहिओ य महारोलो जह मह गिहे तेणओ एसो। रायपुरिसेहिं गहिओ नीओ य नराहिवस्स पासम्मि ॥ २५ ॥ धाईए परियाणिय जणगोत्ति निवेइओ रन्नो। ताणि य निविसयाई आणत्ताई पिया य भोगेहिं ॥ २६ ॥ नेच्छइ निमंतिओवि हु विहिओ य नराहिवो सहो। जाया पभावणा-ॐ सासणस्स ओहावणन्नतित्थीण ॥ २७॥ विहिओ वासारत्तो तदुवरमे विहरमाणं तं । जा राया अणुगच्छइ उच्छलियातुच्छमच्छरेहिं तओ॥ २८ ॥ धिजाइएहिं एगा दुयक्खरा गन्भिणी भणिया। उवलोहिय परिवाइयवेसं घेत्तूण रायमगंमि ॥ २९ ॥ वाहाए घेत्तवो वत्तवो एरिसं वयणं । का मे गई इओ देहि किंचि विहिए तहा मुणी मुणइ ॥३०॥ धी
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॥९८॥