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श्रीउपदेशपदे
ASSISRIGANGANGAstaas*
सहइ बीयमाणेस ता अण्णं ॥ ९९ ॥ आणीया कइयावि बिइया तं च पदछमेईसे । मच्छरवसमुच्छलिया लग्गा छिदे चित्रकार-- निहालेउं ॥१०॥ घडहत्थाओ दुन्नि वि कूवम्मि गया जलाणयणहेउं । भणिया बीया कुवे पेच्छ हला! दीसए किंपि
पुत्रह ॥१०१॥ दटुं सा आरद्धा छुढा तत्थेव पेल्लि पच्छा । गिहमागया भणेइ य ते नियमहिलं गवेसेह ॥ १०२॥ मुणियं तेहिं इमीए एसा जह मारिया न संदेहो। माहणचेडस्स तओ हिययम्मि खुडुक्कियं एयं ॥१०३ ॥ एसा सा मे भइणी पावोवहया न अन्नहा एयं । सुब्वइ भगवं वीरो सम्वन्नू सबदरिसी य ॥१०४ ॥ कोसंबीइ पुरीए समागओ जामि ता अहं तत्थ । आगम्म पुच्छइ इमो जा सा सा सत्ति वयणेणं ॥ १०५॥ एवं भणिए पहुणा संवेगं तिवमागया परिसा। हद्धी मोहवियारो कह विडंबइ भवे भविणो? ॥ १०६॥सो पवइओ भयवंतपायमूले अणाउलो मणसा । संबुद्धा बुद्धिधणा बहवे अन्नेवि भवजिया ॥१०७॥ देवी मिगावईवि य वंदित्ता एवमाह जं नवरं । पुच्छामि अवंतिनिवं तुभंते लेमि तो दिक्खं ॥ १०८ ॥ जा पुच्छइ पज्जोयं मज्झम्मि सभाइ तीइ महईए। तक्खणकिसाणुराओ सो लज्जापरवसो जाओ॥ १०९॥ न तरइ तं वारेउं विसज्जिया तेण सा तओ कुमरं । निक्खेवयनिक्खित्तं काऊण वयं पवजेति ॥११०॥ अंगारवईपमुहाउ अट्ठदेवीउ तस्सवि निवस्स । सहिया मिगावईए तम्मी समयम्मि पवइया ॥ १११॥ चोराण य पंच सया तेणं गंतूण ताइ पल्लीए । संबोहिया, मिगावई अज्जा सा चंदणज्जाए ॥११२ ॥ उवणीया जयगुरुणा साहुसमायारपरिणई जाया। अह अन्नम्मि विहारे रविससिणो नियविमाणेसु ॥११३॥ एसुं चिय आरूढा समागया वंदिलं भुवणनाहं । अवरण्हकालसमए अज्जाओवि हु समग्गाओ॥११४ ॥ नायनियट्टणसमया सेसज्जाओ समागया वसहिं । अज्जा /