________________
दसवाँ अध्ययन
-(0)
मलमूत्र का स्थान
भिन्नु या भिक्षुणी को मलमूत्र की शंका हो और उसके पास सरावला न हो तो अपने सहधर्मी से मांग ले; उसमें मल-मूत्र करके निर्जीव स्थान पर डाल दे |
जो स्थान गृहस्थ ने एक या अनेक सहधर्मी भिक्षु या भिक्षुणी के लिये तैयार किया हो ( वस्त्र ग्रन्ययन के सूत्र १४३ पृष्ट १०५ के अनुसार ) तो सदोप जान कर उसमें मल-मूत्र न करे । जिस स्थान को गृहस्थ ने भिक्षु के लिये तैयार किया या कराया हो, बरावर कराया हो, सुवाति कराया हो, वहाँ वह मलसूत्र न करे ।
जिस स्थान में से गृहस्थ या उसके पुत्र श्रादि कंद, मूल, वनस्पति आदि को इधर-उधर हटाते हो, उसमें भिक्षु मलमूत्र न करे ।
भिक्षु ऊंचे स्थानो पर मल-मूत्र न करे । भिन्तु जीवजन्तु वाली, गीली, धूल वाली, कच्ची मिट्टी वाली जमीन पर मलमूत्र न करे और सजीव शिला, ढेले, कीडे चाली लकड़ी पर या ऐसे ही सजीव स्थान में मलमूत्र न करे । [ १६६ ]
जिस स्थान पर गृहस्थ श्रादि ने कंदमूल, वनस्पति प्राडा हो, डालते ही या डालनेवाले हो, वहा भिक्षु मलमूत्र का त्याग न
करे |