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________________ आठवाँ अध्ययन -(0) खड़ा रहने का स्थान * भिक्षु या भिक्षुणी को खड़ा रहने के लिये स्थान की जरूरत पढ़े तो वह गांव, नगर या राजधानी में जाये । वह स्थान जीवजन्तु वाला हो तो उसको सदोष जानकर मिलने पर भी न ले. श्रध्ययन के सूत्र ६४ और ६५ - पृष्ट-८२ ८४ के कन्दमूल के वाक्य तक के अनुसार । . शय्या भिक्षु इन सब दोषो को त्याग कर, नीचे के चार नियमो मे से एक के अनुसार खटा रहने का निश्चय करे---- ५. ग्रचित्त स्थान पर खडा रहने, चित्त वस्तु का अवलम्बन लेने, हाथ-पैर फैलाने-सिकोड़ने और कुछ फिरने का नियम ले । २ फिरने को छोड़ कर, बाकी सब ऊपर लिखे अनुसार ही नियम ले । ३. अवलम्वन किसी का होने को छोड़कर बाकी सब ऊपर लिखे अनुसार ही नियम ले । ४ चित्त स्थान पर खड़ा रहने, अवलम्बन किसी का न लेने, हाथ पैर न फैलाने-सिकोड़ने, न फिरने का और शरीर, बाल wwwww. घाट से चौदह तक के अध्ययन दूसरी चूड़ा है । www VAN AAAAA
SR No.010795
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGopaldas Jivabhai Patel
Publication Year
Total Pages151
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size5 MB
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