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________________ ५६ द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका शुद्ध नाम अग्निकाय है। प्रश्न ८-अग्निकायको कितनी जातियाँ है ? उत्तर- अग्निकायकी अनेक जातियां है, जैसे-ज्वाला, अङ्गार, किरण, मुर्मुर, शुद्ध अग्नि (वज्र, बिजली आदि), बडवानल, नन्दीश्वरधूमकुण्ड, मुकुटानल आदि । प्रश्न :-- अग्निकायिक जीवकी कितनी अवगाहना है ? उत्तर- घनागुलके असख्यात भागप्रमाण अग्निकायिक जीवोकी अवगाहना है । प्रश्न १०- वायुकाय जीव किन्हे कहते है ? उत्तर- जिनका वायु ही शरीर है उन्हे वायुकाय जीव कहते है । जो जीव वायुकाय मे उत्पन्न होनेके लिये मोडे वाली विग्रहगतिसे जा रहा है उसे भी वायुकाय जीव कहते है । इसका शुद्ध नाम वायुकाय जीव है। प्रश्न ११-- वायुकाय जीव कितने प्रकारके होते है ? उत्तर- वायुकाय जीव अनेक प्रकारके होते है-जैसे बात, उद्गम, उत्कलि, मण्डलि, महान, धन, गुजा, वातवलय प्रादि । प्रश्न १२-वायुकायिक जीवोकी कितनी अवगाहना है ? उत्तर-घनागुलके असख्यातवें भाग प्रमाण वायुकायिक जीवोकी अवगाहना है । प्रश्न १३-वनस्पतिकाय जीव किन्हे कहते है ? उत्तर-जिनका वनस्पति ही शरीर है उन्हे वनस्पतिकाय जीव कहते है । जो जीव वनस्पतिकायमे उत्पन्न होनेके लिये मोडे वाली विग्रहगतिसे जा रहा है उसे भी वनस्पतिकाय कहते है । इस जीवका शुद्ध नाम वनस्पतिकाय जीव है। प्रश्न १४- वनस्पतिकाय जीव कितने प्रकारके होते है ? उत्तर-वनस्पतिकाय जीव दो प्रकारके होते है-(१) प्रत्येकवनस्पति, (२) साधारणवनस्पति । प्रश्न १५-प्रत्येकवनस्पतिकाय जीव चिन्हे कहते है ? उत्तर-जिन वनस्पतिकाय जीवोका शरीर प्रत्येक है अर्थात् एक शरीरका स्वामी एक ही जीव है उन्हे प्रत्येकवनस्पतिकाय जीव कहते है। प्रश्न १६- साधारणवनस्पतिकायिक जीव किन्हे कहते है ? उत्तर- जिन वनस्पतिकाय जीवोका शरीर साधारण है अर्थात् -एक शरीरके स्वामी अनेक जीव है उन्हे साधारणवनस्पतिकाय कहते है। प्रश्न १७-प्रत्येकवनस्पतिकाय जीवके कितने भेद है ? उत्तर-प्रत्येक वनस्पतिकायके दो भेद हैं-- (१) सप्रतिष्ठित प्रत्येकवनस्पति,
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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