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गाथा ५
उत्तर-जलमे अथवा जलपर किस प्रकार गमन किया जा सकता है, अग्निका स्तम्भन, भक्षण कैसे हो सकता है ? अग्निमे प्रवेश अथवा अग्निपर बैठना कैसे हो सकता है ? इन सब बातोके करनेके मत्र, तत्र, तपस्यानोका इसमे वर्णन है।
प्रश्न १३५-- स्थलगता चूलिकामे किस बातका वर्णन है ?
उत्तर-इसमे ऐसे मन्त्र-तन्त्र प्रादिका वर्णन है, जिसके प्रभावसे मेरु, पर्वत, भूमिमै प्रवेश किया जा सकता है और शीघ्र गमन किया जा सकता है।
प्रश्न १३६-मायागता चूलिकामे किस बातका वर्णन है ?
उत्तर- अद्भुत मायामय बाते दिखाना, जो वस्तु यहाँ नही है उसे शीघ्र हाजिर करना, किसीकी गुप्त बातको बता देना आदि इन्द्रजाल सम्बन्धी बातोका इसमे वर्णन है ।
प्रश्न १३७-आकाशगता चूलिकामे किसका वर्णन है ?
उत्तर-इसमे ऐसे मन्त्र तन्त्र आदिका वर्णन है, जिसके प्रभावसे आकाशमे नाना प्रकारसे गमन किया जा सकता है ।
प्रश्न १३८-- रूपगता चूलिकामे किस बातका वर्णन है ?
उत्तर-इसमे सिह, वृपभ आदि अनेक प्रकारके रूप बना लेनेके कारणभूत मन्त्र-तन्त्र प्रादिका वर्णन है।
प्रश्न १३६-पूर्वनामक दृष्टिवाद अंगमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर-- समस्त पूर्वोमे ६५५०५००० पद है । इसके उत्पादपूर्व आदि १४ भेद है, उनके विपयोके विवरणमे पूर्वोका विपय जान लिया जाता है ।
प्रश्न १४०-उत्पादपूर्वमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर-इसमे एक करोड पद है । इसमे प्रत्येक पदार्थके उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य और उनके सयोगी धर्मोका वर्णन है ।
प्रश्न १४१-अग्रायणीपूर्वमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर-इसमे ६६ लाख पद है और इसमे ५ अस्तिकाय, ६ द्रव्य, ७ तत्त्व, ७०० सुनय, ७०० दुर्नय प्रादिका वर्णन है । यह विपय द्वादशागका एक मुख्य विषय है ।
प्रश्न १४२-वीर्यानुवादपूर्वमे कितने पद है और किस बातका वर्णन है ?
उत्तर-इस पूर्वमे ७० लाख पद है, इसमे प्रात्माकी शक्ति, परपदार्थको शक्ति द्रव्य गुण पर्यायकी शक्ति, कालको शक्ति, तपस्याकी गक्ति आदि अनेक प्रकारकी शक्तियोका वर्णन है।
प्रश्न १४३-अस्तिनास्तिप्रवादपूर्वमे किसका वर्णन है और इसमे कितने पद है ?
उत्तर-इस पूर्व मे स्यादस्ति, स्यान्नास्ति, स्यादवक्तव्य प्रादि साभगोका वर्णन है जिससे द्रव्यका स्वरूप ज्ञात होता है । इसमे ६० लाख पद है ।