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________________ गाथा प्रश्न ११५-- व्याख्याप्रज्ञप्ति अङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर- इस अङ्गमे दो लाख अट्ठाइस हजार पद है। इसमे साठ हजार प्रश्न और उत्तर है । जैसे जीत्र नित्य है या अनित्य ? जीव वक्तव्य है या अवक्तव्य इत्यादि । प्रश्न ११८ - ज्ञातृधर्मकथाङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर- इसमे पांच लाख छप्पन हजार पद है । इसमे वस्तुओका स्वभाव तीर्थंकरोका माहात्म्य, दिव्यध्वनिका समय व स्वरूप, गणधर आदि मुख्य ज्ञातामोकी कथावोका वर्णन है । प्रश्न ११६- उपासकाध्ययनांगमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर-इसमे ग्यारह लाख सत्तर हजार पद है। इसमे श्रावकोकी प्रतिमा, आचरण व क्रियाकाण्डोका वर्णन है । श्रावकोचित मन्त्रोका भी इसमें वर्णन है। प्रश्न १२०- अन्तःकृद्दशाङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर-- इसमे २३ लाख २८ हजार पद है और इसमे उन अन्तःकृत केवलियोका वर्णन है जो प्रत्येक तीर्थङ्करोके तीर्थमे दश दश मुनि घोर उपसर्ग सहन करके अन्तमे समाधि द्वारा ससारके अन्तको प्राप्त हुए है। प्रश्न १२१-- अनुत्तरोपपादिकदशाङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर-इसमे ६२४४००० पद है। इसमे प्रत्येक तीर्थंकरके तीर्थमे होने वाले उन दश दश मुनियोका वर्णन है जो घोर उपसर्ग सहन करके समाधि भावसे प्राण तज करके विजयादिक अनुत्तर विमानोमे उत्पन्न हुए है। प्रश्न १२२-प्रश्न व्याकरणाङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर-इसमे ६३१६००० पद है। इसमे अनेक प्रश्नोके द्वारा तीन काल सम्बन्धी धनधान्यादि लाभ, अलाभ, सुख, दुःख, जीवन, मरण, जय पराजय आदि फलोका वर्णन है। प्रश्न १२३-विपाकसूत्रमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर-इसमे एक करोड चौरासी लाख पद है और इसमे द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावके अनुसार शुभ अशुभ कर्मोका तीन भेद प्रादि अनेक प्रकारके फल (विपाक) होनेका वर्णन है। प्रश्न १२४-दृष्टिवाद अङ्गमे कितने पद है और इसमे किसका वर्णन है ? उत्तर-इस अङ्गमे १०८ करोड ६८ लाख ५६ हजार पांच पद है। इसमे ३६३ मिथ्यामतोका वर्णन और निराकरण है। लोक, द्रव्य, मत्र, विद्या, कलाओ, कथानो आदि का भी वर्णन है। प्रश्न १२५-प्रथमानुयोगमे कितने पद है और किसका वर्णन है ? उत्तर-इसमे ५ हजार पद है। इसमे तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, नारायण, बलभद्र और प्रतिनारायणोकी कथाओ व इनसे सम्बन्धित उपकथानोका वर्णन है ।
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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