SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९ द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न. ११- विषयवारकी अपेक्षाम अक्षरात्मक श्रुतज्ञानके कितने भेद है ? उत्तर- विषयवारकी अपेक्षा से श्रुतज्ञानके मूल भेद २ है-(१) अङ्गवाह, (२) अङ्गप्रविष्ट । प्रश्न ६२-- अङ्गवाह्यके कितने भेद है ? उत्तर- अङ्ग वाह्य के १४ भेद है-(१) सामायिक, (२) चतुर्विशतिस्तव, (३) वन्दना, (४) प्रतिक्रमण, (५) वैनयिक, (६) कृतिकर्म, (७) दशवकालिक, (८) उत्तराध्ययन, (९) कल्पव्यवहार, (१०) कल्प्याकल्प्य, (११) महाकल्प्य, (१२) पुण्डरीक, (१३) महापुण्डरीक, (१४) निपिद्धिका । प्रश्न ६३-सामायिक नामक अङ्गवाह्य श्रुतज्ञानमे किसका वर्णन अथवा ज्ञान है ? उतर-सामायिक श्रुताङ्गमे नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव-इन छह पद्धतियो द्वारा समताभावके विधानका वर्णन है । प्रश्न ६४-चतुर्विंशतिस्तव श्रुताङ्गमे किसका वर्णन है ? उत्तर- चतुर्विशति तीर्थइरोके नाम, अवगाहना, कल्याणक, अतिशय व उनकी वन्दना विधि व वन्दनाफलका वर्णन इस श्रुताङ्गमे है । प्रश्न ६५-- वन्दना नामक श्रुताङ्गमे किसका वर्णन है ? उत्तर--एक जिनेन्द्रदेवकी व एक जिनेन्द्रदेवके अवलम्बनसे जिनालयकी वन्दनाकी . विधिका वर्णन वन्दना नामक अङ्गबाह्य श्रुतज्ञानमे है। प्रश्न ६६-प्रतिक्रमण नामक श्रुताङ्गमे किस विषयका वर्णन है ? उत्तर-देवसिक, राधिक, पाक्षिक, चातुर्मासिक, सावत्सरिक, ऐपिथिक व पौत्तमार्थिक, इन सात प्रकारके प्रतिक्रमणोका काल व शक्तिके अनुसार करनेकी विधिका वर्णन है। प्रश्न ६७-वैनयिक नामक अङ्गबाह्य श्रु तज्ञानमे किसका वर्णन है ? उत्तर- इस श्रुतागमे, ज्ञानविनय, दर्शनविनय, चारित्रविनय व उपचारविनय, इन चार प्रकारके विनयोका वर्णन है । प्रश्न ६८- कृतिकर्म नामक श्रुतागमे किसका वर्णन है ? उत्तर- अरहत, सिद्ध, प्राचार्य, उपाध्याय व साधु, इन पांचो परमेष्ठियोकी पूजाविधि का वर्णन कृतिकर्म नामक अगबाह्य श्रु तज्ञानमे है। प्रश्न ६६-दशवकालिक श्रुतागमे किसका वर्णन है ? उत्तर- दस विशिष्ट कालोमे होने वाली विशेषता व मुनिजनोको आचरणविधिका वर्णन दशवकालिक श्रुतमे है। प्रश्न १०.---उत्तराध्ययन श्रुतागमे किसका वर्णन है ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy