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द्रव्यमग्रह - प्रश्नोत्तरी टीका अर्थ- शुभक्रिया से निवृत्त होने चोर शुभक्रियामे प्रवृत्त होनेको व्रत, समिति, गुप्ति स्वरूप चारित्र जानो, ऐसा व्यवहारनयसे जिनेन्द्रदेवने कहा है ।
प्रश्न १ - शुक्लध्यानी साधुवोके यह लक्षण न पाया जानेसे यह लक्षरण तो अव्यापक
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रहा ।
उत्तर - यह लक्षण व्यवहारचारित्रका है, चारित्रसामान्यका नही अथवा निश्चयचारित्रका नही । ग्रत. यह लक्षरण व्यवहारचारित्रमे पूर्ण प्रकारसे घटित होता है । प्रश्न २ - अहिसा महाव्रत के पालनमे यह लक्षण कैसे घटित होता है ?
उत्तर - अहिसा महाव्रतमे हिंसा मे निवृत्ति और दयामे प्रवृत्ति होती है, ग्रतः श्रहिंसा व्रत शुभनिवृत्ति व शुभप्रवृत्ति सिद्ध है ।
प्रश्न ३ – सत्यमहाव्रतके पालनमे यह लक्षरण कैसे घटित होता ?
उत्तर- सत्यमहाव्रतमे असत्य, ग्रहित, चुगलीके, निन्दाके वचनोसे निवृत्ति होती है। श्री सत्य, हितरूप, भक्तिभरे वचनोमे प्रवृत्ति होती है, श्रत इसमे भी व्यवहारचारित्रका लक्षण सिद्ध है ।
प्रश्न ४
अचौर्यमहाव्रतमे किससे निवृत्ति और किसमे प्रवृत्ति है ?
उत्तर- ग्रचौर्यमहाव्रतमे चोरी व जबरदस्तीसे तो निवृत्ति हे और आज्ञा लेकर स्वोचित वस्तु ग्रहण करने व भक्ति सहित दी हुई योग्य वस्तुके ग्रहण करने व श्रागमकी पद्धति अनुसार श्राहारादि ग्रहण कहने मे प्रवृत्ति है ।
- ब्रह्मचर्यं महाव्रतमे किससे निवृत्ति और किससे प्रवृत्ति है ?
प्रश्न ५-
उत्तर - सर्वं प्रकारके मैथुन प्रसङ्गोसे निवृत्ति और शीलके साधक साधनोमे प्रवृत्ति इस महाव्रतमे होती है ।
प्रश्न ६ – परिग्रहत्याग महाव्रतमे विमले निवृत्ति और किसमे प्रवृत्ति होती है ? उत्तर - परिग्रहत्याग महाव्रत मे धन धान्य प्रादि सर्व परिग्रहो से निवृत्ति प्रौर वननिवास, नग्नत्वप्रादिमे प्रवृत्ति होती है ।
प्रश्न ७ – ईर्यासमितिमे किससे निवृत्ति और किसमे प्रवृत्ति होती है ?
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उत्तर- ईर्यासमिति सचित स्थानोसे निवृत्ति और पिच्छिका द्वारा शरीर शोधन, स्थानशोधन आदिमे प्रवृत्ति होती है ।
प्रश्न ८ - भाषासमितिमे किससे निवृत्ति और किसमे प्रवृत्ति होती है ?
उत्तर - भाषासमितिमे अहित, अपरिमित व अप्रिय वचनोके बोलनेसे निवृत्ति और हित, मित प्रिय वचन बोलनेमे प्रवृत्ति होती है ।
प्रश्न ६ - ऐषणासमितिमे किससे निवृत्ति और किसमे प्रवृत्ति होती है ?