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________________ गाथा ३५ है । प्रश्न १२० - भोजन सम्बन्धी अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर-- जिनके निमित्तसे साधुजन श्राहारका त्याग कर देते है उन्हे अन्तराय कहते प्रश्न १२१-- श्रन्तराय कौन-कौन है ? १८५ उत्तर - (१) काक, (२) श्रमेध्य, (३) छर्दि, (४) रोधन, (५) रुधिर, (६) अश्रुपात, (७) जान्वध परामर्श, (८) जानूपरिव्यतिक्रम, (६) नाभ्यधोनिर्गमन, (१०) प्रत्याख्यात सेवन, (११) जन्तुबध, (१२) काकादिपिण्डहरण, (१३) पाणिपिण्डपतन, (१४) पाणिजन्तुबध, (१५) मांसादिदर्शन, (१६) उपसर्ग, (१७) पादान्तरापञ्चेन्द्रियागमन, (१८) भाजनसपात, (१६) उच्चार, (२०) प्रस्रवण, (२१) अभोज्यगृहप्रवेश, (२२) पतन, (२३) उपवेशन, (२४) सदश, (२५) भूमिस्पर्श, (२६) निष्ठीवन, (२७) उदरक्रिमिनिगम, (२८) प्रदत्तग्रहण, (२६) प्रहार, (३०) ग्रामदाह, (३१) पादग्रहरण, (३२) करग्रहरण । प्रश्न १२२ - काक नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- आहारार्थं चर्यामे या आहार के समय साधुके शरीरपर कोई कौवा, कुत्ता आदि जानवर मलोत्सर्ग कर दे तो काक नामक अन्तराय हो जाता है । प्रश्न १२३ - श्रमेध्य प्रतराय किसे कहते है ? उत्तर - प्रहारार्थं जाते हुए अथवा खडे हुए साधुके यदि किसी प्रकार पैर, घुटने, घ आदि किसी भी अङ्गमे विष्टा आदि अशुचि पदार्थका स्पर्श हो जावे तो श्रमेध्य नामक अन्तराय होता है । प्रश्न १२४ - छर्दि नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर - यदि किसी कारण साधुको स्वय वमन हो जाय तो उसे छर्दि नामक अतराय कहते है । प्रश्न १२५ - रोधन नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर - आज भोजन मत करना, इस प्रकार किसीके रोक देनेको रोधन अन्तराय कहते है । प्रश्न १२६ - रुधिर नामक अन्तराय कब होता है ? उत्तर - अपने या परके शरीरसे चार गुल या और अधिक तक रुधिर, पीव श्रादि साधु देख ले तब रुधिर नामक अन्तराय होता है । प्रश्न १२७ – प्रश्रुपात अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- शोक्से अपने अश्रु बह जानेको या किसीके मरने ग्रादिके कारणसे किसीका श्राक्रन्दन (जोरका रोना) मुनाई पड़नेको अश्रुपात अन्तराय कहते है ।
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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