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________________ १६४ द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका क्त्वसागर कम स्थितिवन्ध हो जाता है तब स्त्रीवेदमोहनीयकर्मका बधव्युच्छेद होता है । प्रश्न ४७.- ३१वा बधापसरण किसका और कब होता है ? उत्तर- ३०वें बन्धासरगामे होने वाले स्थितिबधसे कम वध होते होते जब शतपृथक्त्वसागर कम स्थितिबध हो जाता है तव स्गतिसम्थान व नाराचसहनन, इन दोनो पारोसेमा.अ५५५der) प्रकृतियोका एक साथ बधव्युच्छेद हो जाता है । म -मोटा प्रश्न ४८- ३२वा वन्वापसरण किसका और कब होता है ? • उत्तर- ३१वे वधापसरणमे होने वाले स्थितिवधसे कम वन्ध होते होते जव शतपृथक्त्वसागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब न्यग्रोधपरिमडलसस्थान व वज्रनाराचसहनन, इन दोनो प्रकृतियोका एक साथ बघव्युच्छेद हो जाना है । 373 प्रश्न ४६- ३३वा बन्धापसरण कब और किसका होता है ? उत्तर- ३२वें बन्धापसरणमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम बन्ध होते होते जब शतपृथवत्वसागर कम स्थितिवन्ध हो जाता है तब मनुष्यगति, प्रौदारिकशरीर, औदारिक अङ्गोपाङ्ग, वज्रऋषभनाराचसहनन और मनुष्यगत्यानुपूर्व्य, इन पांचो प्रकृतियोका एक साथ वधव्युच्छेद हो जाता है। प्रश्न ५०-३४वा बन्धापसरण कब और किसका होता है ? उत्तर-३३वें बन्धापसरणगे होने वाले स्थितिबधसे कम वध होते होते जब शतपृथक्न्वसागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब असातावेदनीय, अरति, शोक, अस्थिर, अशुभ, प्रयशःकीति, इन छ प्रकृतियोका एक साथ बन्धव्युच्छेद हो जाता है। प्रिश्न ५१- यह ३४ बन्धापसरण कब तक रहते है ? उत्तर-इन ३४ बधापसरणोको करने वाले जीवके 'या तो मिथ्यात्व गुणस्थानका अन्त हो जाय याने सम्यक्त्व उत्पन्न हो जाये या प्रायोग्यल ब्धिसे पतन हो जाय, इससे पहिले तक ३४ बधापसरा बने रहते है । . प्रश्न ५२- सामादनसम्यक्त्व गुणस्थानमे क्तिनी प्रकृतियोका सवर होता है ? उत्तर-सासादनसम्यक्त्व नामक दूसरे गुणस्थानमे १६ प्रकृतियोका संवर होता है। वे १६ प्रकृतियां ये है-(१) मिथ्यात्व, (२) नपुसकवेद, (३) नरकायु, (४) नरकगति, (५) एकेन्द्रियजाति, (६) द्वीन्द्रियजाति, (७) त्रीन्द्रियजाति, (८) चतुरिन्द्रियजाति, (६) हुडक, सस्थान, (१०) असप्राप्तसृपाटिकासहनन, (११) नरकगत्यानुपूर्व्य, (१२) आतप, (१३) साधारणशरीर, (१४) सूक्ष्म, (१५) अपर्याप्ति और (१६) स्थावर । प्रश्न ५३-सासादन सम्यक्त्वमे इन १६ प्रकृतियोका सवर क्यो होता है ? उत्तर-इन १६ प्रकृतियोके आस्रव, बन्धका कारण मिथ्यात्वभाव है। सासादन
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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