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द्रव्यसग्रह--प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर-देव व नारकियोके आयुबन्धके अपकर्प उनकी प्रायु ६ माह शेप रहनेपर ८ बार दो विभागोमें लगा लेना चाहिये।
प्रश्न १६~-एकेन्द्रियादिक असज्ञी जीवोका आयुर्वधका अपकर्ष कव होता है ?
उत्तर- एकेन्द्रियादिक असज्ञी जीवोका अपकर्ष कर्मभूमियाकी तरह समस्त प्रायुके ८ बार दो विभागोमे लगा लेना चाहिये। जैसे किसीकी आयु ८१ वर्षकी है तो ५४ वर्ष होनेपर आयुबध हो सकता, तब आयुबन्ध न हो तो फिर ७२ वर्षकी प्रायुमें आयुबध हो सकता। तब न बधे तो फिर ७८ वर्षकी आयुमे प्रायुबध हो सकता, तब ८० वर्पकी उम्रमे आयुबध हो सकता । इस प्रकार पूरे ८ बार कर लेना चाहिये।
प्रश्न १७- क्या एक कर्ममे आवान्तर प्रकृतियां भी हो सकती है ?
उत्तर- कर्मोके जो १४८ भेद बताये गये हैं। उनरूप प्रकृतियां तो होती ही हैं यह तो स्पष्ट है, किन्तु १४८ प्रकृतियोमे किसी एक प्रकृतिमे भी प्रावातर असख्यात प्रकृतिया होती है । जैसे एक मतिज्ञानावरणको लें, उसमे घटमतिज्ञानावरण, पटमतिज्ञानावरण आदि अनेक प्रकृतिया हो जाती है।
प्रश्न १८-स्थितिबध किसे कहते है ?
उत्तर-जीवके प्रदेशोमे बद्धकर्मस्कन्धोकी कर्मरूपसे रहनेको, कालकी मर्यादा पड़ जानेको स्थितिबन्ध कहते है।
प्रश्न १६- किस कर्मकी कितनी उत्कृष्ट स्थिति होती है ?
उत्तर- ज्ञानाबरण कर्मकी ३० कोडाकोडीसागर, दर्शनावरणकी ३० कोडाकोडीसागर, मोहनीयकर्मकी ७० कोडाकोडीमागर, अन्तरायकर्मकी ३० कोडाकोडीसागर, वेदनीयकर्मकी । ३० कोडाकोडीसागर, आयुकर्मकी ३३ कोडाकोडीसागर, नामकर्मकी २० कोडाकोडीसागर और गोत्रकर्मको २० कोडाकडीसागर उत्कृष्ट स्थिति होती है।
प्रश्न २०-एक कर्मप्रकृतिके जितनी कर्मवर्गणायें बधती है क्या उन सभी वर्गणामो को उक्त स्थिति होती है ?
ग में 7 उत्तर-आबाधाकालके बाद किन्ही वर्गणावोकी १ समयकी, किन्ही वर्गणावोकी २ की समयकी, किन्ही वर्गणावोकी ३ समयकी इत्यादि प्रकारसे १-१ समय बढाकर उत्कृष्ट स्थिति तक लगा लेना चाहिये।
प्रश्न २१-तब किन्ही वर्गणावोकी उक्त उत्कृष्ट स्थिति हुई, फिर कर्मसामान्यकी उत्कृष्ट स्थिति कैसे हुई ?
उत्तर- एक समयमे जितनी कार्माणवर्गणायें बधी उनमेसे जो एक प्रकृतिकी हुई, उनमे प्रकृतिको अपेक्षा अभेद करके उस प्रकृतिको जो उत्कृष्ट स्थिति होती है उस ही का