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________________ द्रव्यसंग्रह- प्रश्नोत्तरी टीका उत्तरजिस कर्मके उदयसे स्पर्शन और रसना- इन दो इन्द्रिय वाला जीवन मिले उसे द्वीन्द्रियजातिनामकर्म है। प्रश्न १०८-श्रीन्द्रियजातिनामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिसके उदयसे स्पर्शन, रसना व घ्राण- इन तीन इन्द्रिय बाला जीबन मिले उस कर्मको श्रीन्द्रियजातिनामकर्ग कहते है । प्रश्न १०६-चतुरिन्द्रियजातिनामकर्म किसे कहते है। उत्तर-जिस कर्मके उदयसे स्पर्शन, रमना, प्राण और चक्षु इन चार इन्द्रिय वाला जोवन मिले उसे चतुरिन्द्रियजातिनामकर्म कहते हैं। प्रश्न ११०-पञ्चेन्द्रियजातिनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे स्पर्शन, रपना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र-इन पांचो इन्द्रिय वाला जीवन मिले उसे पञ्चेन्द्रियजातिनामकर्म कहते है। प्रश्न १११- शरीरनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरको रचना हो उसे शरीरनामकर्म कहते हैं । प्रश्न ११२- प्रौदारिक शरीरनामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे प्रौदारिक नामक आहारवर्गणाके पुद्गलस्कन्ध शरीररूप परिणत होते हुये जीवके साथ सम्बन्ध हो उसे प्रौदारिक शरीरनामकर्म कहते है । प्रश्न ११३-वक्रियकशरोग्नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे वैक्रियक नामक पाहारवर्गशाके पुद्गलस्कन्ध शरीररूप परिणत होते हुये जीवके साथ सबन्ध हो उसे वैक्रियकशरीरनामकर्म कहते है। प्रश्न ११४- आहारकशरीरनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे, आहारक नामक आहारवर्गरणाके पुद्गलस्कन्ध शरीररूप परिणत होते हुये जीवके साथ सबन्ध हो उसे आहारकशरीरनामकर्म कहते है। प्रश्न ११५- तैजसशरीरनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे तैजसवर्गणाके पुद्गलस्कन्ध शरीररूप परिणत होते हुये जीवके साथ सबन्ध हो उसे तैजसशरीरनामकर्म कहते है। प्रश्न ११६- कार्मारणशरीरनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे कार्माणवर्गणाके पुद्गल स्कन्ध कर्मरूप परिणत होकर कार्माण शरीररूप परिणत होते हुए जीवके साथ सबन्ध हो उसे कार्माणशरीरनामकर्म कहते है। प्रश्न ११७-अङ्गोपाङ्गनामकर्म किसे कहते है ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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