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युगवीर-निवन्धावली
खराबीके कारण और दो सप्ताहसे अस्पतालमें होने के कारण श्री वशीधरजी एम० ए० से अपनी उत्तर देने में असमर्थताकी बात लिखा दी और यह भी लिखा दिया कि स्वास्थ्य ठीक होनेपर उत्तर दे सकूँगा। पत्रमे श्री वशीधरजीने लिखा है कि उन्हे दमा तथा खाजका जोर है । यह खाजका रोगका एक्जीमा है जो कई वर्ष पहले उन्हे बहुत जोरसे हुआ था और जिसके पुन लौट आनेकी सूचना बा० छोटेलालजीने अपने पिछले एक पत्रमे दी थी और उसके कारण भी उन्हे दिल्लीका जाना स्थगित करना पड़ा था।
बा० छोटेलालजी समाजकी एक बडी विभूति थे, नि स्वार्थ सेवाभावी थे, कर्मठ विद्वान् थे, उदारचेता थे, प्रसिद्धिसे दूर रहने वाले थे, अनेक संस्थाओको स्वयं दान देते तथा दूसरोसे दिलाते थे। वीरसेवामन्दिरके तो आप एक प्राण ही थे। आपके इस दुःसह एव दुःखद वियोगसे उसे भारी क्षति पहुँची है, जिसकी निकट भविष्यमे पूर्ति होना कटिन है ।
__ मेरी हादिक भावना है कि सद्गत आत्माको परलोकमे सुखशान्तिकी प्राप्ति होवे और कुटुम्बोजनोको धैर्य मिले' ।
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१. कैन सन्देश, ३ फरवरी १९६६ ई० ।