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नया सन्देश
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समाजमे इस समय प्रचलित है अथवा सुने जाते हैं उनमेसे आपको कौन कौनसे गुरुओके वचन मान्य है, जिससे आपके गुरुणा अनुगमन' सिद्धान्तका कुछ फलितार्थ तो निकले-लोगोंको यह तो मालूम हो जाय कि आप अमुक अमुक गुरुओ, ग्रन्थकारोकी सभी वातोको आँखें बन्द कर मान लेनेका परामर्श दे रहे हैं। साथ ही यह भी बतलाइये कि यदि उनके कयनोमे भी परस्पर विरोध पाया जाय तो फिर आप उनमेसे कौनसेको गुरुत्वमे च्युत करेंगे और क्योकर । केवल एक सामान्य वाक्य कह देनेसे कोई नतीजा नही निकल सकता। भले ही साक्षात् गुरुओके सम्बन्धमे आपके इस सिद्धान्त-वाक्यका कुछ अच्छा उपयोग हो सके, परन्तु परम्परा-गुरुओ और विभिन्न मतोके धारक वहगुरुओके सम्बन्धमे वह विल्कुल निरापद मालूम नहीं होता और न सर्वथा उसीके आधार पर रहा जा सकता है-खासकर इस कलिकालमे जव कि भ्रष्टचरित्र-पण्डितो और धूर्त-मुनियोके द्वारा जैनशासन वहुत कुछ मैला ( मलिन ) किया जा चुका है। ___ आजकल हिन्दू साधुओमे कितना अत्याचार बढा हुआ है और वे अपने साधुधर्मसे कितने पतित हो रहे हैं, यह वात किसीसे छिपी नही है। उनकी चरित्र-शुद्धि और उत्थानके लिए, अथवा दूसरोको सन्मार्ग दिखलानेके लिए, क्या किसी गृहस्थको यह समझकर उनके दोपोकी आलोचना नही करनी चाहिए कि वे साधु हैं और हम गृहस्थ, हमे गुरुजनोकी समालोचना करनेका अधिकार नही ? और क्या ऐसी समालोचना करनेवाला हिन्दू नही रहेगा ? यदि सेठ साहव ऐसा कुछ नही मानते, बल्कि देश, धर्म और समाज की उन्नतिके लिए वैसी समालोचनाओका होना आवश्यक समझते हैं तो उन्हे जैन-समालोचकोको भी उसी दृष्टिसे