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युगवीर-निवन्धावली अवरुद्धश्च तावन्त्यस्तन्व्यः कोमलविग्रहाः।
मदनोद्दीपनैर्यासां दृष्टिवाणैर्जितं जगत् ।। ३६ ॥ इससे साफ प्रगट है कि भरत चक्रवर्तीका विवाह म्लेच्छ कन्याओसे हुआ और वे समस्त म्लेच्छकन्याएँ म्लेच्छराजाओकी ही नही थी, बल्कि इतर म्लेच्छोकी अर्थात् म्लेच्छराजाओसे भिन्न दूसरे म्लेच्छोकी श्रेष्ठ कन्याएँ भी उनमे शामिल थी, ऐसा "म्लेच्छराजादिमिर्दत्ताः" इस पदमे दिए हुए 'आदि' शब्दसे सूचित होता है।
-जैनमित्र, २२-४-१९१३