________________
.
टिप्पणियाँ
[१३
५६-क्रियाकल्प काव्य-अलंकार) १४. पुर:काव्य-शीघ्र कवित्व ५७--छलितक योग [ रूपांतर | . . करके ठगनेकी कला] ५८- वखगोपन ५E--द्यूतविशेष. .
| [१० वें से १४ वे तक ६०-आकर्प क्रीड़ा [पासोंका | १२. पाशक
खेल ] ६१-बालक्रीडन [बालकोंके लिए
गुड़िया वगैरह बनानेकी
कला] ६२-चैनयिकी [ अपनेको व
दूसरेको शिक्षित बनानेकी तथा हाथी वगैरह पशुओं
को शिक्षित बनानेकी कला] ६३--वैजयिकी [विजय पानेकी [४६. व्यूह ४७. प्रतिव्यूह • कला)
५०. चक्रव्यूह ५१. गरुड व्यूह ५.२. शकट व्यूह ५३. युद्ध ५४. नियुद्ध ५५. युद्धातियुद्ध ५६. दृष्टि युद्ध५७. मुष्टियुद्ध ५८.बाहु
युद्ध ५६. लतायुद्ध ६०. इ. ६४-व्यामिकी [ व्यायामसे ।
प्वन६१. सम्प्रवाद, ६२. संबन्ध रखनेवाली कला]| धनुर्वेद,४४. स्कंधावारमान]
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्तिकी टीकामें स्त्रीकी ६४ कलाकि नाम आगे लिखे अनुसार हैं
-
-