________________
श्री अजितनाथ-चरित्र
[ ५४५
..समूह जिसपर भ्रमण कर रहा था ऐसा, गर्जनासे मेघको भी लाँघ जानेवाला और ऐरावतके समान एक हाथी देखा। . . २-वृषभ-दूसरे सपने में उसने ऊँचे सींगोंके कारण सुंदर, शरद ऋतुके मेघके समान सफेद और सुंदर पैरोंवाला मानो चलता-फिरता कैलाश पर्वत हो ऐसा वृषभ (बैल) देखा। .. ३-केसरीसिंह-तीसरे सपने में उसने चंद्रकलाके जैसा वक्र, नाखूनोंसे तथा कुंकुम और केसरके रंगको लाँघ जानेवाली केशर (अयाल) से प्रकाशित जवान केसरीसिंह देखा।
४-लक्ष्मीदेवी-चौथे सपनेमें उसने, दो हाथियों द्वारा दोनों तरफ दो पूर्ण कुंभोंको ऊँचा कर, जिसपर अभिषेक किया जा रहा है ऐसी और कमलके आसनवाली लक्ष्मीदेवी देखी। . .५-फूलोंकी माला-पाँचवें सपनेमें उसने खिले हुए फूलोंकी सुगंध द्वारा दिशाओंके भागको सुगंधमय बनानेवाली, आकाशमें रही हुई, मानो आकाशका ग्रैवेयक आभूपण हो ऐसी फूलोंकी माला देखी। . : ६-चंद्रमा-छठे सपने में उसने संपूर्ण मंडलवाला होनेसे असमयमेंही पूर्णिमाको बतानेवाला और किरणोंसे आकाशको तरंगित करनेवाला चंद्रमा देखा। . ७-सूर्य-सातवें सपनेमें उसने फैलती हुई किरणोंसे अंधकारके समूहको नाश करता हुआ और रातमें भी दिवसका विस्तार करता हुआ सूरज देखा।
८-ध्वज-आठवें सपने में उसने कल्पवृक्षकी शाखा हो
३५