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भ० ऋषभनाथका वृत्तांत
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के पुरुषसिंह नामक पुत्र पाँचवें वासुदेव होंगे । उनकी काया चालीस धनुषकी और आयु दस लाख बरसकी होगी। वे धर्मनाथ जिनेश्वर के समयमें होंगे और आयु पूर्ण कर छठी नरकभूमिमें जाएँगे ।
६ - चक्रपुरी नगरी में महाशिर राजा और लक्ष्मीवती रानी के पुरुषपुंडरीक नामक पुत्र छठे वासुदेव होंगे । उनकी काया उन्तीस धनुषकी और आयु पैंसठ हजार बरसकी होगी। वे अरनाथ और मझीनाथके अंतर में होंगे और आयु पूर्ण कर छठी नरकभूमिमें जाएँगे ।
७ - काशी नगरी में अग्निसिंह राजा और शेपवती रानीके दत्त नामक पुत्र सातवें वासुदेव होंगे । उनकी काया छत्रीस धनुषकी और आयु छप्पन हजार बरसकी होगी। वे भी अरनाथ व मल्लीनाथ स्वामीके मध्यवर्ती समयमेंही होंगे और आयु पूर्ण कर पाँचवीं नरकभूमिमें जाएँगे ।
८- अयोध्या में दशरथ राजा और सुमित्रा रानीके नारायण नामसे प्रसिद्ध लक्ष्मण नामक पुत्र आठवें वासुदेव होंगे । उनकी काया सोलह धनुषकी और आयु बारह हजार बरसकी होगी। वे मुनिसुव्रत और नमि तीर्थंकरके मध्यवर्ती समय में होंगे और आयु पूर्ण कर चौथी नरकभूमिमें जाएँगे ।
६- मथुरा नगरी में वसुदेव राजा और देवकी रानीके कृष्ण नामक नर्वे वासुदेव होंगे। उनकी काया दस धनुपकी और श्रायु एक हजार बरसकी होगी । नेमिनाथके समय में होंगे और मरकर तीसरी नरकभूमिमें जाएँगे । ( ३३८-३५७ )