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२१२] त्रिषष्टि शलाका पुस्पन्चरित्रः पर्व १. सर्ग २.
अपने स्थानों को गए और दीनाकी इच्छावाले प्रमुभी तत्कालही नंदनोद्यानसे अपने राजमहल में गए । ( १०३४-१०४०) .
आचार्य श्रीहेमचंद्रमूरिक बनाए हुए त्रिपष्टिशलाका पुरुषचरित्र महाकाव्य के प्रथम , पर्वमें भगवानका जन्म, व्यवहार
और राज्यस्थिति बतानेवाला
दूसरा सर्ग समाप्त हुआ।