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१४] त्रिषष्टि गल्लाका पुरुष-चन्त्रिः पत्र ? सर्ग २.
रहा है। विमान पाँचली योजन ऊँचा था। उसका विस्तार लान्द्र योजन था। उस विमानकी क्रांनि नरगिन(लगनी हुई) तीन मीडियाँ यी वहिनवंत पनकी गंगा यि और गति नासा नदियाँले समान माइम होनी थीं उन माहियां आगे अंतर रंगांक ना दोरण ये व वनुष समान मुदर मालूम होन थे। उस विमान चंद्रमंडल संखआलिंगी मुझंग (छोटा टोन और ग्लन पित्रा चाँदनी समान और चौरस जनीने (आँगन सामनी थीं। उन भूमिपर पनी हुई सन्मय शिला लगातार पनवाली वहनदी चित्रमा दावाश्री नन्त्रीरोग गिग्नबाली अनित्राची शोमाचीवारण करती हुई मानवानी थीं। उपवारने अल्लाया समान पुन लियॉन विभूषित गननडिनशानंडप (रंगमंडवाया और उस अंडर मागिन्यत्री मन्त्र पीठिका (बैठक ) यो हवित हुए असली चर्षिचा (कमल छसमान मुंबर माडून होती श्री बट्ट पीठिका लंबा-चौडाइमें अटजन और मोटाईन चारोनन थी। वकीलनाची शैयां बनान नाम होनी थी उनपर ननिहालन यात्रहवतनमारकंडिया मादन होता या लिंबाचनयर ऋर्व शोमात्राना, त्रित्रित्र स्ने जड़ा हुआ और अपनी हिमाल पानाधानी व्यात
नवाला विजयवन्न देयमान हो रहा था। उसके वीत्रने हाय जान हो वैसा बांटा और लम कडा नं
जैसी मित्र मनिकोनियामाला शानती थी उस मोनियांची माला याख्यान गंगानही अंतर डेसी, उनकी
हा श्राचे चिन्तावाली, अनिल मोतियात्री माला