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१२८] त्रिपष्टि शलाका पुरुष-चरित्रः पर्व १. सर्ग २.
वृक्षकी इच्छासे मर्यादाका त्याग करता था तो उसको दंड देनके लिए. 'हाकार' नीति स्वीकार की । समुद्र के बारका जल से मर्यादा नहीं छोड़ता है, वैसेही "हा! तुमने यह बुरा काम किया !" ये शब्द सुनकर युगलिए नियम नहीं तोड़ते थे। वें शारीरिक पीड़ाको सहनकर सकते थे मगर 'हा! तुमने ऐसा किया ! इस वाक्यको वे सहन नहीं कर सकते थे। (इसे बहुत अधिक दंड सममते थे।) ( १६१-१६४ )
दुसरा कुलकर चक्षुष्मान जब विमलवाहनकी आयु छः महीनेकी बाकी रही तब उसकी चंद्रयशा नामकी बीसे एक युग्मका जन्म हुआ। वह युग्म असंत्यपूर्वकी आयुवाला प्रथम संस्थान और प्रथम संहननवाला, श्याम (कान) रंगका र आठसा यनुष प्रमाण ऊच शरीर वाला था। मातापिताने उनके नाम चक्षुष्मान और चंद्रकांता रखें। साथमें उगे हुए वृक्ष और लताकी तरह वे एक साथ बढ़ने लगे (१६५-२६७)
छ: महीने तक अपने दोनों बालकोंका पालनकर, बुढ़ा। और रोगके बगैर मृत्यु पाकर विमलवाहन सुवर्णकुमार देवलोकन और उसकी स्त्री चंद्रयशा नागकुमार देवलोकमें उत्पन्न हुए। कारा
"अस्तमोयुपी पीयूपकरे तिष्ठेन्न चंद्रिका ।" [चाँदकं छिप जानेपर चाँदनी भी नहीं रहती।] (१६८-१६६)
१-मुवनातिका दम निकायों (सन्ह) मंझे नीचर निकाय २-हमरा निकाय