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________________ श्रीजोधराजजी म० शरीर को भस्मसात् करने में वह समर्थ न हो सकी। पूज्यश्री का जीवन भी आदर्श था और उनकी मृत्यु भी आदर्श थो। ऐसे पुरुष मरकर भी सदा अमर हो जाते हैं। ____ आज मेवाड़ संप्रदाय का एक दीपक सदा के लिये बुझ गया । मेवाड़ -का भाग्य ही कमजोर है जो तीन महिने की अवधि में दो मेवाड़ नाथ मेवाड़ को गोद से निकल गये। यानी भापके स्वर्गवास के तीन महिने पूर्व एक मेवाड़नाथ हिन्दवा-सूर्य महाराणा फतहसिंहजी वहादुर का स्वर्गवास हो गया था । एक ही वर्ष में दो मेवाड़नाथों के स्वर्गवास से धार्मिक जगत और मेवाड देश अनाथ हो गया । पूज्यश्री बडे दयालु शान्तस्वभावो तपस्वी थे। आपका कद लम्बा -या । आप अखण्ड ब्रह्मचारी थे । आपके ममय में संप्रदाय की नींव मजबूत हो गई थी। आपने पाच वर्ष तक लगातार एकान्तर तप किये। आपने अनेक प्रकार की तपस्या की थीं । मेवाड़ी जनता आपश्री की 'चिरऋणी है । जिससे उण होना दुष्कर है । आपका यश भमर रहे यही शुभ कामना है। सन्त शिरोमणि श्री जोधराजजी महाराज मेवाड़ रियासत के तगड़िया (देवगढ़) नामक छोटे से ग्राम में जन्म लेकर भी जिसने अपने तेजोमय जीवन की स्वर्णिम रश्मियाँ मेवाड़ के एक छोर से दूसरे छोर तक प्रसरित की, जिसने अपना बहुमूल्य 'जीवन स्व-पर के उद्धार में लगाया, जिसने अकिंचनता, अनगारता अंगीकार करके भी अपनी महनीय आध्यात्मिक सम्पत्ति से जनता को प्रभावित करके अपने पावन पादपद्मों में प्रणत किया वह तपोधन, ज्ञानधन मुनि श्री जोधराजेनी महाराज आज भी हमारी श्रद्धाभक्ति के पात्र हैं। मुनि श्री जोधराजजी महाराज के पिता क्षात्रवंशीय श्रीमान् मोतीसिंहजी थे और माता श्रीमती चम्पाबाई थीं। भापका जन्म
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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