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________________ - ५० पू० श्रीएकलिंगदासजी म. के नाद से आकाश गूंज उठा। उपस्थित सन्त सतियों ने व जन समूह ने पूज्यश्री को वन्दन किया। इस प्रकार पूज्य एकलिंगदासजी महाराज सर्वसम्मति से मेवाड़ सप्रदाय के आचार्य घोषित हुए । इस सुवर्ण अवसर पर अहमदाबाद के निवासी तत्वदर्शी सिद्धान्त शिरोमणि कर्मवीर श्रीयुत् वाडीलाल मोतीलाल शाह भी उपस्थित थे । वे इस समारोह से व पूज्यश्री के व्यक्तित्व से बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने अपनी लेखनी से इस पदवीदान समारोह का बड़ी सुन्दर शैली में अपने पत्र में वर्णन किया था। पूज्य पदवी के पश्चात् सं. १९६८ में आकोला, सं. १९६९ में भादसौडा, सं.. १९.७० में घासा, सं. १९७१ में मोही, सं. १९७२ में सनवाड एवं सं. १९७३ में मावली में चातुर्मास हुए । सं. १९७४ का चातुर्मास आपने राजाजी के करेडे में किया । उस समय वहाँ के राजा अमरसिंहजी साहव ने आपके व्याख्यान का पूरा लाभ लिया। पूज्यश्री के उपदेश से महाराजा साहब ने वहाँ पर काला भैरूंजी के स्थान पर' प्रचुर संख्या में होने वाली बकरे तथा भैसों की बलि को सदा के लिये बन्द कर दिया और अमरपट्टा लिखकर पूज्यश्री की नजर कर दिया जिसकी प्रतिलिपि इस प्रकार है"श्रीगोपालजी ।। ॥ श्रीरामजी ॥ पट्टा नं. ३० सावत सीध श्री राजावहादुर श्रीभमरसिंहजी बंचना हेतु कस्वा राजकरेडा समस्त महाजना का पंचा कसै अपरञ्च राज और पंच मिलकर भेजी जाकर पाति मांगी के अठे बकरा व पाड़ा बलिदान होवें जीरे बजाये भमरियों कीधा जावेगा। बीइरी पाती बगसे-सो भैरुजी ने पांती दी दी के मंजूर है। ई वास्ते मारी तरफ़ से आ बात मजूर होकर बजाए जीव, बलिदान के अमारिया कीधा जावेगा । ओर दोयम राज और पंच मिलकर धरमशाला भैरोजी के बनावणी की दी, सो धरमशाला होने पर ई
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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