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________________ पू. श्रीमानमलजी.म. और शरीर शिथिल हो गया। आपके बिगड़ते हुए स्वास्थ्य को देखकर लोग यही सोचने लगे कि अब पूज्यश्री चंद दिनों के ही मेहमाना हैं । साथी मुनिराज भी पूज्य गुरुदेव की अस्वस्थता से चिन्तित हो उठे । गाँव के लोग भी घबरा गये । सुतार को बुलाकर गांव वालों ने पालखी बनाने का आदेश दे दिया । लोगों की घबराहट और भागः दौड़ देखकर पूज्यश्री ने लोगों को अपने पास बुलाया और आश्वासन देते हुए कहा-भाइयो ! आप लोग यह भाग दौड़ क्यों कर रहे हो ?' मेरा शरीर यहां नहीं छूटेगा। मेरा आगामी चातुर्मास नाथद्वारा में होगा. और वहीं यह देह छूटेगा। आप लोग व्यर्थ ही परेशान हो रहे हैं। पूज्यश्री के इन वचनों से गांव वालों को आश्वासन मिला । पूज्यश्री अल्प समय में ही स्वस्थ हो गये। स्वास्थ्य लाभकर पूज्यश्री अपनी शिष्य, मण्डली के साथ विहार कर गये। विहार करते हुए आगामी चातुर्मासार्थ नाथद्वारा पहुँचे । “मेरा नाथद्वारा में स्वर्गवास होगा"पूज्यश्री की इस भविष्यवाणी से लोग सावधान होगये । नाथद्वारे के चातुर्मास के बीच हजारों स्त्रीपुरुष पूज्यश्री के दर्शनार्थ आने लगे। नाथद्वारे के इस चौमासे के बीच लोगों में धार्मिक उत्साह खूब बढ़ा चढ़ा रहा । धर्मध्यान आशातीत हुआ । पूज्यश्री का भी सारा समय व्याख्यान देने में व स्वाध्याय में बीतने लगा । सांवत्सरिक पर्व भी बड़े उत्साह के साथ समाप्त हुआ । दीपावली में वीर निर्वाण के दिन पूज्यश्री ने प्रतिवर्ष के नियमानुसार एक आसन से उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययन का वाचन किया । इतनी उम्र में भी पूज्यश्री की अप्रमत्त अवस्था को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। चातुर्मास समाप्ति का दिन समीप आता जा रहा था । पूज्यश्री की मृत्यु का समय टल गया' जान लोग कुछ निश्चित हो गये थे। कार्तिक शुक्ला पंचमी का प्रातःकाल था । पूज्यश्री ने आलोचना की । चतुर्विध संघ को बुलाया और उनसे खमतखामना की। अपने साथी मुनिवरों से कहा-“सन्तो! मेरा अब आप लोगों से जुदा होने का समय भागया है: यदि. मैने
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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