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पू० श्रीमानमलजी म.
पालो" युवक नमस्कार कर दो कदम आगे बढ़ा ही था कि आचार्य ने अपने शिष्यों से कहा-यह युवक थोड़े समय में ही मेवाड़ का नाथ बनेगा । यह वाक्य युवक ने सुन लिया । वह वापस लौट कर पूज्यश्री के पास आया । पूज्यश्री के एक सन्त ने पूछा-आपका नाम ? युवक ने कहा-मुझे फतहसिंह कहते हैं । वह बोला-पूज्यश्री ने आपके लिये जो भविष्यवाणी की है वास्तव में वह सच निकलेगी और आप सारे मेवाड़ को फतह करेंगे । आप सचमुच भाग्यशाली हैं । युवक ने नम्रता से जवाब दिया। "जैन मुनि रा वचन साचा हुआ करे हैं।' 'प्रणाम कर युवक भागे बढ़ गया ।
कुछ अर्से के बाद महाराणा सज्जनसिंहजी की अपुत्र ही मृत्यु होगई । इनकी गादी अन्य को न मिलकर फत्तेसिंहजी को ही मिली । महाराणा फत्तेसिंहजी के बारे में पूज्यश्री की भविष्यवाणी शतप्रतिशत सच निकली । महाराणा फत्तेसिंहजी भानजी स्वामी के परम भक्त वन गये । उन्होंने अपने जीवनकाल में पूज्यश्री की अच्छी सेवा की और अपना धर्ममय जीवन बनाया । यह था पूज्यश्री मानजी स्वामी के वचनों का अनूठा चमत्कार !
तेली समाज द्वारा पापमय व्यापार का परित्याग- .
एक वार आप अपनी शिष्य मण्डली के साथ मेवाड़ के "पालना" नामक गाव में पधारे । पालना गाव में अधिकतर तेलियों की बस्ती है । जैनों के नाम मात्र के ही घर हैं। पूज्यश्री के आगमन का समाचार सुनकर सारा गांव पूज्यश्री के व्याख्यान श्रवण के लिये
आया । पूज्यश्री ने अपने प्रवचन में दया दान का महत्व और 'पुण्य पाप का फल समझाया। पूज्यश्री के व्याख्यान की समाप्ति के बाद 'एक वृद्ध ने निवेदन करते हुए कहा-"महाराज साहब ! हमारा गांव प्रतिदिन ह्रास की ओर जा रहा है । धनजन दोनों की हानि हो रही है इसका क्या कारण है?" पूज्यश्री ने कहा-'भाइयो ! जैसा हम