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________________ आगम के अनमोल रत्न में वाहन के डूब जाने से मर गया । वृद्धा को इस बात का पता लगा। उसने सोचा कहीं राजा को मेरे अपुत्र होने की खबर मिल जाएगी तो मेरा सारा धन राजा ले जायगा । वृद्धा ने चारों बहुओं से कहादेवमन्दिर के पास खटिये पर मेरा लड़का सोया हुआ है । तुम उसे वठा कर ले आवो। बहुओं ने वैसा ही किया। वह उस स्थविरा के घर वारह वर्ष तक रहा । उन चारों बहुओं के कृतपुण्य से चार-चार सतानें हुई। वृद्धा ने अब कृतपुण्य का घर में रहना अनावश्यक समझ रात्रि के समय जब यह खटिये पर सोया हुआ था उस समय वृद्धा के कहने पर चारों स्त्रियों ने खाट उठा कर उसे पूर्व स्थान पर ले जाके रख दिया । साथ में रत्नों से भरे हुए लड्डू भी उस के खटिये पर रख दिये थे। प्रात: काल जब कृतपुण्य की भाँखे खुली तो वह अपने आपको एक मन्दिर में पड़ा पाया । उसे बड़ा आश्चर्य हुआ । उसने सोचावृद्धा अब मुझे अपने घर नहीं रखना चाहती इसीलिये उसने रात्रि में चुपके से उठाकर खटिया के साथ यहां लाकर रख दिया है। अब उस वृद्धा के घर जाना बेकार है। यह सोच ही रहा था कि कुछ भादमी कृतपुण्य को खोजते हुए वहाँ भा पहुँचे । वात यह हुई कि जिन व्यापारियों के साथ कृतपुण्य धन कमाने के लिये गया था वह व्यापारियों का काफिला उसी दिन राजगृह पहुँचा । कृतपुण्य की स्त्री ने जब अपने पति को उसमें नहीं पाया तो उसे बहुत चिन्ता हुई । उसने अपने पति की खोज में चारों ओर आदमी दौड़ाये । वे भादमी कृतपुण्य को खोजते-खोजते उसी मन्दिर में पहुँचे । वहाँ कृतपुण्य को खाट पर बैठा हुआ पाया । उसे समझा बुझा कर घर ले आये। कृतपुण्य अपनी पत्नी के साथ रहने लगा । कृतपुण्य का एक ग्यारह वर्षीय लड़का था। वह पाठशाला से पढ़कर आया और भूख के मारे रोने लगा। वह अपनी मां से वोला-भां खाने को दो। मां ने उसे अपने पति के लाये हुए लड्डुओं में से एक लड्डू दे दिया । वह
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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