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________________ तीर्थकर चरित्र श्रीमती की पण्डिता नामकी सखी थी। वह बहुत चतुर थी। उसने इसका कारण जान लिया । श्रीमती की सहायता से उसने -दूसरे देवलोक ईशानकल्प का तथा ललितांग देव के विमान का एक चित्र बनाया किन्तु उसमें त्रुटियाँ रहने दी। उस चित्रपट को राजपथ पर दाग दिया । संयोगवश उस समय कुमार वज्रजंघ उधर से निकला । राजपथ पर टंगे हुए उस चित्रपट को देख कर उसे भी जातिस्मरण ज्ञान हो गया । उसने चित्रपट में रही हुई कमी दूर कर दी । इस बात का पता श्रीमती तथा उसके पिता वज्रसेन को लगा। इससे उसको बहुत प्रसन्नता हुई । वज्रसेन ने श्रीमती का विवाह वज्रजंघ के साथ कर दिया । बहुतकाल तक सांसारिक भोग भोगने के बाद वज्रजंघ और श्रीमती दोनों को संसार से वैराग्य होगया । 'प्रातःकाल पुत्र को राज्य देकर दीक्षा अगीकार कर लेंगे' ऐसा विचार कर राजा और रानी सुखपूर्वक सो गये। उसी दिन राजपुत्र ने किसी शस्त्र अथवा विषप्रयोग द्वारा राजा को मार कर राज्य प्राप्त कर लेने का विचार किया । राज. दम्पति को सोये हुए जानकर राजपुत्र ने विषमिश्रित धृा छोड़ दिया जिससे राजा और. रानी दोनों एक साथ मर गये । ७-सातवाँ भव परिणामों की सरलता के कारण राजा वज्रजंघ और रानी श्रीमती के जीव उत्तरकुरु क्षेत्र में तीन पल्योपम की आयुवाले युगलिये हुए। ८-आठवाँ भव युगलिये का आयुष्य समाप्त कर दोनों पतिपत्नी सौधर्म देवलोक में देव हुए। ९-नौवाँ भव • जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में क्षितिप्रतिष्ठित नामका रमणीय नगर था । उस नगर में सुविधि नामका एक वैद्य रहता था। देव
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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