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________________ वासुदेव और बलदेव वापस अपने घर रख लिया। धोवी के इन शब्दों ने राम के हृदय को मेद डाला । उन्होंने सीता को त्यागने का निश्चय कर लिया। दूसरे दिन प्रातःकाल राम ने सीता को वन के दृश्य देखने के वहाने रथ में बैठाकर जंगल में भेज दिया। एक भयंकर जंगल के अन्दर ले जाकर सारथी ने उसे छोड़ दिया और वापस अयोध्या लौट आया। उस समय पुण्डरीकपुर का राजा वज्रजंघ वन में हाथी पकड़ने के लिए आया था। अपना कार्य करके वापिस लौटते हुए उसने विलाप करती हुई सीता को देखा। सीता के मुख से अपनी दुःख की कहानी सुनकर राजा ने उसे कहा-बहन ! मै श्रावक हूँ। तुम मुझे अपना भाई समझकर मेरे घर को पावन करो और धर्मध्यान करती हुई सुखपूर्वक अपना समय विताओ। वज्रजंघ का शुद्ध हृदय जानकर सीता ने पुण्डरीकपुर में जाना स्वीकार कर लिया। राजा वज्रजंघ सीता को पालकी में बैठाकर अपने नगर में ले आया। सीता मुखपूर्वक गर्भ का पालन करने लगी। समय पूरा होने पर सीता ने एक युगलपुत्र को जन्म दिया । राजा बज्रजंघ ने उसका जन्मोत्सव मनाया। उनमें से एक का नाम 'लव' और दूसरे का नाम 'कुश' रखा। दोनों राजकुमार आनन्दपूर्वक वढ़ने लगे। योग्य वय होने पर उन दोनों को शत्र और शास्त्र की शिक्षा दी। युवावस्था में राजा वज्रनंघ ने दूसरी वत्तीस राजकन्याओं का और अपनी पुत्री शशिकला का विवाह लव के साथ कर दिया। कुश का विवाह पृथुराज की कन्या के साथ हुआ। ____ सतीसाध्वो सीता पर कलंक चढ़ाना, गर्भवती अवस्था में निष्कारणउसे भयंकर जंगल में छोड़ देना आदि सारा वृत्तान्त नारदजी के मुख से सुनकर लव और कुश राम पर बड़े क्रुद्ध हुए। वज्रजघ की सेना को साथ में लेकर लव और कुश ने अयोध्या पर चढ़ाई कर दी। राम लक्ष्मण ने भी अपनी सेना के साथ उनका सामना किया । दोनों ओर से घमासान युद्ध शुरू हुआ। लव, कुश के वाण प्रहार से परास्त
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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