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________________ आगम के अनमोल रत्न vAvM हुआ । वह अपनी सेना लेकर पितृ-हत्या का बदला लेने के लिए चल पड़ा । वह जमदग्नि के आश्रम में पहुँचा । उस समय परशुराम किसी कार्यवश अन्यत्र चले गये थे । कृतवीर्य ने जमदग्नि को मार डाला और उसके आश्रम को सम्पूर्णतः नष्ट कर चला गया । ___क्रोधमूर्ति परशुराम ने यह सुना तो वह हस्तिनापुर आया और परशु घुमा घुमा कर क्षत्रियों का संहार करने लगा । वह राजमहल में घुसा और उसने अपने पितृ हत्यारे कृतवीर्य को परशु से मार डाला। परशुराम की संहार-लीग देखकर गर्भवती तारा रानी गुप्तमार्ग से भाग गई । चलते चलते वह एक तापस आश्रम में पहुँची। वहाँ के कुलपति ने उसे आश्रय दिया। उसे एक गुप्त भूमिगृह में रहने के लिए स्थान दे दिया । महारानी तारा भूमिगृह में रहकर गर्भ का पालन करने लगी । क्रोधमूर्ति परशुराम तारा को खोजता हुआ कुलपति के आश्रम में पहुँया परन्तु वहाँ उसे पता नहीं लगने से वह वापस हस्तिनापुर आया। वह हस्तिनापुर का राजा बन गया। उसने चुन चुनकर क्षत्रियों का संहार प्रारंभ कर दिया। सात बार उसने पृथ्वी को क्षत्रिय-शून्य बना दिया । इधर महारानो ने भूमिगृह में एक वीर पुत्र को जन्म दिया । भूमिगृह में जन्म होने से बालक का नाम सुभम रखा । कुलपति ने बालक को सब प्रकार की शिक्षा दी और उसे वीर क्षत्रिय बनाया । वह युवा हुभा । उसने वैताढ्यपर्वत पर रहने वाले राजा मेघनाद की पुत्री पद्मश्री के साथ विवाह किया । वह अपने श्वसुर के साथ रहने लगा। उसने राजनीति में कुशलता प्राप्त करली । एक बार परशुराम ने एक भविष्यवेत्ता से पूछा-मेरी मृत्यु किससे होगी ? उत्तर में उसने कहा-"आपने जिन क्षत्रियों को मारकर उनकी दाढाओं को थाल में भर रखा है वह थाल जिस व्यक्ति के स्पर्श से खीर बन जायगो उसी व्यक्ति से तुम्हारी मृत्यु होगी।" भविष्यवेत्ता से यह सुनकर उसने अपने वैरी का पता लगाने के लिए एक दानशाला खोली
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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