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________________ तीर्थङ्कर चरित्र mam तथा पाटला, मालती , चंपा, अशोक, पुनाग के फूलों, मरुआ के पत्तों, दमनक के फूलों, शतपत्रिका के फूलों एवं कोरंट के उत्तम पत्तों से गूंथा हुआ सुखमय स्पर्श वाला तथा अत्यन्त सौरभ को छोड़ने वाला श्रीदामकाण्ड (फूलों की सुन्दर माला) सूंघने का दोहद उत्पन्न हुआ। प्रभावती देवी के इस दोहद को जानकर समीपस्थ वानव्यन्तर देवों ने जल और थल में उत्पन्न विविध पुष्पों के ढेर रानी के महल में डाल दिए तथा एक सुखप्रद और सुगन्ध को फैलाने वाला श्रीदामकाण्ड भी लाकर महल में डाल दिया । महारानी ने फूलों की शय्या पर सोकर एवं श्रीदामकाण्ड को सूंघ कर अपना दोहद पूर्ण किया । प्रभावतीदेवी ने नौ मास और साढ़े सात दिवस के पूर्ण होने पर हेमन्त के प्रथम मास के दूसरे पक्ष में यानी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मध्यरात्रि में अश्विनी नक्षत्र का चन्द्रमा के साथ योग होने पर सभी ग्रहों के उच्च स्थान पर स्थित होने पर उन्नीसवें तीर्थङ्कर को जन्म दिया तीर्थंकरों के जन्म के नियम के अनुसार ५६दिग्कुमारि: काओं ने प्रसूतिका का कर्म किया। इन्द्रों ने मेरु पर्वत पर जाकर बालिका भगवान का जन्म महोत्सव किया । आठ दिन का महोत्सव मनाकर भगवान को अपनी माता के पास वापस रख दिया । महाराज कुम्भ ने पुत्री का जन्म महोत्सव किया । उत्सव काल में तीसरे दिन चन्द्र और सूर्य का दर्शन कराया गया । छठे दिन रात्रि जागरण का उत्सव हुमा बारहवें दिन नाम सस्कार- कराया गया। इस बीच राजा कुम्भ ने अपने नौकर, चाकर, इष्ट मित्र स्नेहियों और ज्ञातिजनों को आमंत्रित किया और भोजन पान अलंकार आदि से सब का सत्कार किया और कहा-जव यह वालिका गर्भ में थी तब इसकी माता को पुष्प शय्या पर सोने का तथा पुष्पमाला सूंघने का दोहद हुआ था अतः इस वालिका का नाम भल्ली रखेगे । सब ने इस बात को आदर पूर्वक स्वीकार किया । - -
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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