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________________ तीर्थङ्कर चरित्र . १०७ - भगवान ने अपना निर्वाणकाल समीप जान समेतशिखर पर पदार्पण किया । वहाँ नौ सौ मुनियों के साथ अनशने कर एक मास के अन्त में जेठवदि त्रयोदशी के दिन भरणी नक्षत्र में निर्वाण प्राप्त लिया । भगवान का कुल आयुष्य एक लाख वर्ष का था जिस में भगवान ने पच्चीस हजार वर्ष कौमार अवस्था में, पच्चीस हजार वर्ष युवराज (मांडलिक) अवस्था में, पच्चीस हजार वर्ष चक्रवर्ती पद पर एवं पच्चीस हजार वर्ष मुनि अवस्था में व्यतीत किये । उनका शरीर चालीस घनुष ऊँचा था । वर्ण स्वर्ण जैसा था । श्री धर्मनाथ जिनेश्वर के निर्वाण के वाद पौन पल्योपम न्यून तीन सागरोपम बीतने पर भगवान शान्तिनाथ मोक्ष में पधारे। .. . १७. भगवान कुन्थुनाथ जंबूद्वीप के पूर्व विदेह में आवर्त नामक देश है । उसमें खगी नाम की नगरी थी । वहाँ सिंहावह नाम का राजा राज्य करता था। संवराचार्य के आगमन पर वह उनके दर्शन के लिये गया । उनका उपदेश सुनकर, उसे संसार के प्रति वैराग्य उत्पन्न होगया और उसने अपने पुत्र को राज्य गद्दी पर स्थापित कर दीक्षा ग्रहण की। वे दीक्षा लेने के बाद उच्चकोटि का तप और मुनियों की सेवा करने लगे जिससे उन्होंने तीर्थङ्कर नामकर्म का उपार्जन कर लिया । अन्तिम समय में समाधि पूर्वक मर कर वे सर्वार्थसिद्ध विमान में ३३ सागरोपम की आयु वाले अहमीन्द्र देव बने। भारतवर्ष में हस्तिनापुर नामक सुन्दर नगर था । वहाँ शूर नाम के प्रतापी राजा राज्य करते थे । उसकी रानी का नाम श्रीदेवी था । वह अत्यन्त शीलवती व धर्मपरायणा थी। तेतीस सागरोपम का आयुष्य पूरा करके सिंहावह देव का जीव श्रावण वदि नवमी के दिन कृत्तिका नक्षत्र के योग में श्रीदेवी के गर्भ में उत्पन्न हुआ । उत्तम गर्भ के प्रभाव से महारानी ने चौदह महास्वप्न देखे । गर्भकाल पूर्ण होने पर महारानी ने वैशाख वदी चौदस को कृत्तिका नक्षत्र के योग में जब सारे ग्रह उच्चस्थान में थे तव पुत्ररत्ने को जन्म
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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