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________________ तीथङ्कर चरित्र एक बार रथनुपुरचक्रवाल नगर में अभिनन्दन जगनन्दन और ज्वलनजटी मुनियों का आगमन हुआ । महाराज अर्ककीर्ति ने उनका उपदेश सुना और वे पुत्र अमिततेज को राज्य देकर दीक्षित हो गये। त्रिपृष्ट वासुदेव की मृत्यु के बाद उसके पुत्र श्रीविजय राजा बने और अचल वलदेव ने दीक्षा धारण करली । एकबार अमिततेज अपनी वहन सुतारा भऔर बहनोई श्रीविजय से मिलने के लिए पोतनपुर गया । वहाँ जाकर उसने देखा कि सारे नगर में उत्सव मनाया जा रहा है । अमिततेज ने पूछा आज अकारण ही शहर में उत्सव किसलिये मनाया जा रहा है ? श्रीविजय ने उत्तर दिया दस दिन पहले एक भविष्यवेत्ता यहाँ आया था। उसने कहा था कि आज से सातवें दिन पोतनपुर के राजा पर विजली गिरेगी । यह सुनकर मंत्रियों की सलाह से मैने सात दिन के लिये राज्य छोड़ दिया और राज्य सिंहासन पर एक यक्ष की मूर्ति को वैठा दिया । मैं आयंबिल तप करता हुआ धर्मध्यान में समय विताने लगा। सातवें दिन बिजली गिरी और यक्ष की मूर्ति के टुकड़े-टुकड़े हो गये । मेरी प्राण रक्षा हुई इसीलिए सारे शहर में उत्सव मनाया जा रहा है।" ___ यह सुन भमिततेज और ज्योतिप्रभा को बड़ी प्रसन्नता हुई । थोड़े दिन रहकर दोनों पति-पत्नी अपने देशको चले गये । एकबार राजा श्रीविजय रानी सुतारा के साथ वन विहार के लिए ज्योतिर्वन में गये । उस समय कपिल का जीव अशनिघोष प्रतारणी विद्या का साधन कर उधर से आ रहा था उसकी दृष्टि सुतारा पर पड़ी। पूर्व जन्म के स्नेह के वश वह उस पर आसक्त हो गया और उसने उसका अपहरण करने का निश्चय किया । उसने विद्या के
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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