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श्रद्धा-पुष्प
श्री चन्दन मुनि जी
जो सत्य, अहिंसा का, जय-घोष गुजाते थे करुणा के मधुर निशदिन, गीतो को सुनाते थे जो धर्म की राहो पर, चलते थे चलाते थे तिल भर भी कदम जिनके, रुकने नही पाते थे
उन रत्न गुरुवर को हम शीश झुकाते है। फूल अपनी श्रद्धा के शुभ, चरणो मे चढाते है।
जिस उठती तरुण वय मे, सुख जगत का छोडा था मोह माया के बन्धन को, जिस जड से ही तोडा था तप-त्याग, वैराग से दिल, इक दम से ही जोडा था उत्पथ पे चले जग को, कर हिम्मत मोडा था
उन रत्न गुरुवर को, हम शीश झुकाते हैं । फूल अपनी श्रद्धा के शुभ, चरणो मे चढाते है।
कवि, वाद-विजेता जो, बे-जोड कहाते थे लख ज्योतिष जिनका सिर, देवज्ञ झुकाते थे जो कठिन क्रिया कर कर, सयम को सजाते थे गुण जिनके जमतवासी, दिन रात ही गाते थे
उन रत्न गुरुवर को, हम शीश झुकाते है । फूल अपनी श्रद्धा के शुभ, चरणो मे चढाते है।
इक जैन के क्या जो कि, भारत के सितारे थे सतोष, क्षमा के गुण, जीवन मे उतारे थे
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