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________________ विदेशी संस्कृतियो मे अहिंसा परमात्मतत्व के दर्शन अन्तर मे करते थे और सभी जीवो मे उसका आभास मानते थे। इसलिए ही वे सबके साथ प्रेम और करुणा का व्यवहार करते थे।' ___इका लोगो के समान ही अजटेक लोग (Aztecs) भी भारतीय संस्कृति के कायल थे। अहिंसा के तो वे कट्टर अनुयायी थे। उनका सर्वअतिम सम्राट मोन्तेजुमा (Motezurma) नामक था । उसके जीवन की घटनाएं हमे भारतीय नरेशो के जीवन व्यवहार की याद दिलाती है । सन् १५२० ई० मे स्पेन के लोगो ने मैक्सीको पर आक्रमण किया । सम्राट मोन्तेजुमा का आत्मबल हीन नही था । वह शत्रु से मुकाबिला करने को तैयार थे, किन्तु उन्होंने देखा कि शत्रु का सैनिक बल कही ज्यादा अधिक है और श्रेष्ठ है। यह देखकर उनका अहिसा-भाव और त्यागधर्म मचल उठा । उनके मन ने कहा कि क्या निरीह साम्राज्य के मोह मे फसकर अपने प्यारे सैनिको के अमूल्य प्राणो को शत्रु की क्रूरता मे नष्ट होने दूं? नही, ऐसा नहीं होगा । मुझे साम्राज्य नही चाहिए-वह साम्राज्य जिसके कारण मानव मानव का खून बहाए । अहिसा ही परम धर्म है । अजटेक लोग सदा से जीव दया के प्रतिपालक रहे है। जो उन्होने सोचा, वही उन्होने किया। स्पेन वालो से उन्होने सघि करली और अपना राज्य खुशी से उनके अधिकार मे मे दे दिया | किन्तु इतने पर भी स्पेन वाले क्रूर भेडिए थे-उन्होने सम्राट् मोन्तेजुमा और उनके परिवार के साथ क्रूरता का व्यवहार किया-उनका राजमहल भी लूट लिया । मोन्तेजुमा ने राजसम्पत्ति गवा कर भी अपने को अमर कर लिया । ऐहिक सम्पत्ति से बढकर उन्होने अहिसा धर्म की सम्पत्ति को माना और उसी पर उन्होने, अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।' यद्यपि आज मय, इका और अजटेक सस्कृतियो का नाम और काम केवल इतिहास मे शेष है। परन्तु उनकी अहिंसा और दयालु वीरता की अमर कहानी अब भी मानव को सही प्रेरणा दे रही है। अमेरिका के अरिजोना (A11zona, U S.A) नामक प्रदेश मे "होपि" (Hopiles) नामक लोग हमे प्राचीन अमेरिका की अहिंसा सस्कृति की याद दिलाते है । "होपि" का अर्थ है "शातिवादी" और निस्सदेह "होपि" शातिवादी है। वे सख्या मे कुल ४५०० है । उनके देवता 'मासउ" (दैवी महान् आत्मा Divine Great Spirit) अहिंसा के अवतार थे। उन्होने जीव मात्र पर दया और करुणा करने का उपदेश लोगो को दिया था। तदनुसार होपि लोगो ने आज तक अपने विरोधी के ऊपर भी तलवार नही उठाई है । वे शाति के उपासक रहे है और अब भी है । उनके नेता कचिंगवा अहिंसा को ही परम धर्म मानते है । सत्य, सहकारिता आदि को अहिंसा का ही अग समझते है। उनके धर्म की दो बाते मुख्य है (१) मासउ की उपासना करना (२) जीवहत्या नही करना । उनके पडौसी नव जो लोग उनके खेतो मे भेड चरा लेते है, तो भी होपि उनसे लडते नही। बडे ही दयालु है ये लोग । प्राचीन अमेरिका की अहिंसा को यही जीवित रखे हुए है। Voice of Ahinsa-Indo-American Cultural No. 1959, P 446. * Voice of Ahinsa, Indo-American Cultural-SP. no. 1959, PP. 446-447. 3 Ibid, pp. 426-427 । भ० महावीर स्मृति ग्रंथ (आगरा) पृ० ३०७ ४१७
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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