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गुरुदेव श्री रल मुनि स्मृति-अन्य
अतिसालको जहाजइ गय मिलिम भरम ण होइ म वप्रम चपन पसूम (अ) ता केण विभाविज्जइ फउल मिलिय पह तिस्सो ॥५॥
विगए विपक्ष देसे, गुण तरेण तु सयुई जस्य । कोरइ विससे पअउ णकज्जैण सो विसेसो ति ॥५६॥
विसेसालंकारो जहा
णवि तह णिमासु सोहइ पिमाण तयोलरा अपव्यहो । जह पिम अम पीओ पदरो विमहरो पहा अम्मि ॥५॥
जत्थाणिसे हीव्य ससी हि म कोरइ विसेस-तण्हाए । सो अक्खैबो दुविही होन्ता एपकंत-भेएण ॥५८||
अन विऊण अससाण हो ति समग आ धिणा फव्ये । तेण वि अन्नो भावो पएसो चेम दटुवो ॥१३४॥
इति अलकार-दपण समत्त शुभ भवतु ॥
यापक
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