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व्याख्या-साहित्य : एक परिशीलन
आयमणी
लुटिया
मन्तु सरडू
क्रोध
वाड़
द्वती
वोद
गर्दभी
किडी
अर्थ
गुठली रहित फल कोनाली
गोष्ठी
नाश सलि
मूर्ख रकडुय
मृतक भोजन सगिल्ल खरिका खरिका-मुखी
दासी किढग मग
ब्राह्मण
स्थविर तालायर
नट उम्मरी
देहली रिका
राजकन्या
तरुण चूणियों के कुछ विशिष्ट शब्द शब्द गोषम्म
मैथुन सीता
श्मशान
खटीक जाति लोमसी
ककडी इलय
छरी रिणकठ
पानी का किनारा अद्धाणकप्प
रात्रि भोजन सइज्भिय पाइल्लग
फावडा चिलिचिल्ल
आर्द्र तच्चण्णिय
बौद्ध भिक्षु
भाषा विज्ञान भापा-विज्ञान की दृष्टि से भी आगमो का अध्ययन परम आवश्यक है । आगम, नियुक्ति, भाष्य और चूर्णि-इन चारो युगो मे प्राकृत-भापा मे बहुत परिवर्तन हुआ है। यहां पर केवल कुछ शब्दो का ही दिशा-दर्शन दिया गया है। भापा-शास्त्र की दृष्टि से यदि आगम और उसके व्याख्या-साहित्य की छानबीन की जाए, तो बहुत से तथ्य प्रकट हो सकते है। उक्त साहित्य मे प्राचीन शब्द प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध हो सकते है, जिनका आज की भाषा में व्यवहार नही होता है।
खट्टिक
पडौसी