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गुरुदेव श्री रल मुनि स्मृति-ग्रन्य
और गम्भीर है, फिर भी सक्षेप में यह बताना आवश्यक है, कि किस आगम पर किस आचार्य ने टीका लिखी है । आगमो की टीकाओ का मक्षिप्त परिचय इस प्रकार से है -
अङ्ग
टीकाकार
आचार्य गीलाक, जिनहस आचार्य गीलाक, हर्पकुल अभयदेव सूरि, नापि
१ आचाराग २ मूत्रकृताग ३ स्थानाग ४. समवायाग ५. भगवती ६ ज्ञाता धर्मकथाग ७ उपासक दशाग ८ अन्तकृत दशाग ९ अनुत्तरोपपातिक भाग १० प्रश्नव्याकरण ११. विपाक १२. दृष्टिवाद (विलुप्त)
अभयदेव सूरि, नानविमल प्रद्युम्न सूरि
उपांग
टीकाकार
१. ओपपातिक २. राजप्रश्नीय ३ जीवाभिगम ४ प्रज्ञापना ५. सूर्य-प्रज्ञप्ति ६. जम्बूद्वीप-प्राप्ति ७. चन्द्र-प्रज्ञप्ति ८. कल्पिका ६ कल्पावतसिका १० पुष्पिका ११. पुष्पचूलिका १२ वृष्णिदशा
अभयदेव सुरि हरिभद्र, मलयगिरि, देवमूरि मलयगिरि मलयगिरि, हरिभद्र, कुलमण्डन . मलयगिरि मलयगिरि, शान्तिचन्द्र, ब्रह्मपि मलयगिरि चन्द्रसूरि, लाभ श्री