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________________ श्रद्धा की पुष्प पाँखुरिया मंत्री मधुकर मनि नी पूज्य स्वामी श्री ग्लचन्द्र जी म० के भागरा के स्थानकवासी अग्रवाल लोहिया जैनो पर अनन्त उपकार हैं। उन्हीं की असीम कृपा और करणा का फल है, कि उन्हें जैनधर्म की उपलब्धि हुई है। आगरा के न्यानक्वाती अग्रवाल जनों ने अपने आदि गुरु के गुरु ऋण से उऋण होने के लिए "स्मृति-अन्य प्रकागन" का निश्चय किया है। यह मेरी दृष्टि में अत्यन्त शुभ निश्चय है । गुरुऋण इस कार्य से नहीं चुक सुन्ता, पर श्रद्धावादी बौभिन्न मन कुछ हलकापन तो अनुभव करेंगे ही । इस ग्रन्थ-प्रकाशन से जैन धर्म गै प्रभावना होगी। उस जैन धर्म की प्रभावना, जिम धर्म के कारण भव-भ्रमण रूप अनन्त उत्सपिणीबनन अवपिणी का सम्यकन्वोपलब्धि के माध्यम से मात्मा ने छेदन किया है। आगग के अग्रवाल जैनी ने अपने आदि गुरु की पुण्य स्मृति में १. रलमुनि जैन इण्टर कालेज, २ रलमुनि जैन गलं इण्टर कालेज, : ग्लमुनि जैन पुस्तकालय, ४ गुरु रत्नचन्द्र जैन छतरी, ५, रन्नमुनि जन औषधालय आदि संस्थाएं स्थापित की हैं। स्वय अपने व्यय पर इन संस्थाओं का सफल मचालन कर रहे हैं। इससे अनुमान किया जा सकता है, कि आगरा के लोहिया जैनो की अपने आदि गुरु-रत्नबन्द्र मुनि के प्रति तया जैनधर्म के प्रति कितनी गहरी श्रद्धा है। ऐमे परम पुनीत पवित्र आत्मा महामुनि श्री रलवन्द्र म० के कार्य और व्यक्तित्व का स्मरण करता है, तो उनके प्रति मस्तक प्रदा से मुक जाता है।
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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