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________________ (१५०) प्रय हैं और उनमें यशोधर महारानकी क्षित कया कही गई हैं। इस कन्यले दनौरके श्रीयुत टी. एस. कुम्पूवानी कानीने मी . हाल ही इसरार प्रकाशित किया है । बडिशनरिकी रचनाले यह बड़ी सूनी है कि यह सरल होनेर नी के बुर और मनोहारिणी है । हमारी इच्छा थी कि उनके प्रन्योंके कुछ पच यह उद्धृत कारने पाठको उनकी सूची दिक्षत्र, परन्तु न्यानामावले हन ऐसा न कर सके। बज । तर अन्य पाचन यचरित है। रचन्य के हमने दर्शननान किये हैं। पर उसे पढ़ नहीं सके । हमारे मि. पं० उदयनजी कावल्के पास यह है। उन्होंने हमसे उसके कमेवी बहुत ही प्रभावी है। चैया ग्रन्य काकुल्यत्ररित है। . यशेवरचरितमें इस प्रन्या उल्लेख तो मिला हैपरन्तु तक कारनेरर में न कहीं पता नहीं लगा। श्रीपाखनाय-काकुल्यचरितं येन कीवितम् ।। तेन श्रीशादिराजन इन्चा याशोधरी क्या पान १ इन चार न्याने सिवा लिगप्रशस्तिका जो त्रैलोक्यनीपिन वानी' कादि लोग है उसले मल्म होता है कि वादिराज रिना कोई त्रैलोक्यनीतिका नानन्य भी है। नरग्नेि कार्यनयनरत और शुल्यवरि रकत की जा याग्जिने यह कोश्वरित बताया। अन्य नन रामक है, बल - इस ग्रन्या बहु कर उन्होंन चरित हो।
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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