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छेदसुत्ताणि २५ सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स "इति एवं" वत्ता
भवइ आसायणा सेहस्स। २६ सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स "नो सुमरसी' ति वत्ता,
भवइ आसायणा सेहस्स । २७ सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स णो सुमणसे,
भवइ आसायणा सेहस्स। २८ सेहे रायणियस्स कहं कमाणस्स परिसं भेत्ता,
भवइ आसायणा सेहस्स। २६ सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं आच्छिदित्ता,
भवइ आसायणा सेहस्स । ३० सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स तोसे परिसाए अणुट्टियाए अभिन्नाए
अवच्छिन्नाए, अन्वोगडाए दोच्चपि तच्चपि तमेव कहं कहित्ता,
भवइ आसायणा सेहस्स। ३१ सेहे रायणियस्स सिज्जा-संथारगं पाएणं संघट्टित्ता हत्थेण अणणुग्ण
वित्ता गच्छइ, भवइ आसायणा सेहस्स। ३२ सेहे रायणियस्स सिज्जा-संथारए चिट्टित्ता वा, निसीइत्ता वा, तुय
ट्टित्ता वा, भवइ आसायणा सेहस्स। ३३ सेहे रायणियस्स उच्चासणंसि वा समासणंसि वा चिद्वित्ता वा,
निसीइत्ता वा, तुयट्टित्ता वा, भवई आसायणा सेहस्स ।
प्रश्नः-उन स्थविर भगवन्तों ने वे कौन सी तेतीस आशातनाएं कही हैं ? उत्तर:-उन स्थविर भगवन्तों ने ये तेतीस आशातनाएं कही हैं । जैसे१ शैक्ष (अल्प दीक्षापर्यायवाला) रालिक साधु के आगे चले तो उसे
आशातना दोष लगता है। २ शैक्ष, रात्निक साधु के सपक्ष (समश्रणी-वराबरी में) चले तो उसे आणा
तना दोष लगता है। ३ शैक्ष, रालिक साधु के आसन्न (अति समीप) होकर चले तो उसे
आशातना दोष लगता है। ।